लेखक की कलम से
सब संभाल रखा है …
किसी बात का
अब कोई ग़म नहीं
तो क्या हुआ
वो मेरा हम दम नहीं
महबूब का दिया
सब संभाल रखा है
जितना सीने में है
दर्द वो कम नहीं
चेहरे पर मु्कुराहट है
तो क्या हुआ
ऐसा नहीं कि
आंखे अभी नम नहीं
तन्हा है ज़िन्दगी
तन्हा ही रहेगी
वो हमराज
अब मेरा सनम नहीं
हक़ीक़त है
जो बयां की है तुमसे
खुदा कसम
ये मेरा कोई भ्रम नहीं
घाव ‘राजेश’ के
जिस्म पर गहरे है
भर दे ज़ख़्म
ऐसा कोई मरहम नहीं …
©राजेश राजावत, दतिया, मध्यप्रदेश