लेखक की कलम से

काव्यसृजन का आयोजन : विजयदशमी विशेष कवि सम्मेलन …

नई दिल्ली। साहित्यिक संस्था काव्यसृजन की महानगर दिल्ली की इकाई ने रविवार २५ अक्टूबर २०२० को विजयदशमी विशेष ग्यारहवें काव्य-पर्व का आयोजन किया गया। दिल्ली इकाई के अध्यक्ष पंकज तिवारी के मार्गदर्शन एवं महासचिव संजीव कुमार घोष नीर के संयोजन तथा संस्थापक शिवप्रकाश जौनपुरी के सानिध्य में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में हर रविवार शाम ७ बजे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मानित कवि एवं गीतकार को निमंत्रित किया जाता है जो अपने प्रतिनिधि कविताओं के साथ दर्शकों से रूबरू होते हैं और सुनाते हैं समसामयिक विषयों पर, श्रृंगार पर, देशप्रेम पर या कह सकते हैं कि हर रसों पर रचनाएं सुनने को मिल जाती है काव्य-पर्व में। काव्य-पर्व बहुत ही कम समय में लोगों के दिलों में जगह बनाने में सफल हुआ है।

सीमित साधनों में साहित्य को साधते हुए सार्थक रचनाओं के साथ साधक कवियों को लोगों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे काव्यसृजन दिल्ली इकाई के अध्यक्ष पंकज तिवारी ने उक्त गोष्ठी का संचालन बड़े ही खूबसूरती से किया है। कार्यक्रम की शुरुआत दो नन्हे-मुन्ने बच्चों (राजहंस तथा शिवानी) के संगीतमयी वंदना से हुई वंदना के बाद कानपुर उत्तरप्रदेश से ओज व श्रृंगार की कवयित्री प्रतीक्षा तिवारी ने अपने गीत “गोंद में ले ललना को चली, घूंघट में है कुल की वो लाज संवारे” के माध्यम से कोरोना के शुरुआती हृदयविदारक दृश्य को अंकित कर दर्शकों को सोचने पर विवश कर गई, मधुर आवाज, विशेष प्रस्तुति की धनी इस कवयित्री की रचना को दर्शकों ने खूब पसंद किया‌।

मुंबई से आमंत्रित वरिष्ठ कवि रवि यादव ने भी अपनी प्रस्तुति से कार्यक्रम को एक उंचाई पर ले गये। कार्यक्रम के अंत में लखनऊ गान को रचने वाले और ख्यातिप्राप्त कवि, जिनके देशप्रेम की कविताओं को सुनते ही मन जोश से भर उठता है, “भारत माता का बन करके दिवाना खून अपना बहा दे वो दिवाना कहलायेगा” जैसे मुक्तक को रचने वाले अशोक पांडे ‘अनहद’ ने अपने गीत के माध्यम से काव्य उत्सव का एक माहौल ही खड़ा कर दिया, लोग मंत्रमुग्ध हो गये।

कार्यक्रम लोगों के मन तक पहुंच रहा है इस बात की जानकारी देते हुए अध्यक्ष ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया और सम्मान पत्र देकर गोष्ठी का समापन किया।

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