लेखक की कलम से

“कल्याणकारी माँ”…

मिट्टी के संग मिट्टी के रंग

माँ प्रतिमा बनाई भक्तों ने मिट्टी से

 

मनभावन रंगों से सजाकर

कर डाली प्राण प्रतिष्ठा उसकी

 

नौ दिन विराजी साथ हमारे

दिया नाम माँ शक्ति उसको

 

पूजा अर्चना की बेशुमार

भाव-भक्ति में झूम उठे सब

भोग लगाये निम्न प्रकार

 

माँग डालीं ढेरों मनोकामनाएँ

माँ ने भी अपनी शक्ति से पूरी की

हर भक्त की अभिलाषाएँ

 

आया दिन विसर्जन का जब

पुनः मिलने का वादा कर

दे दी विदाई भक्तों ने मिलकर

उस प्रतिमा शक्तिमय ऊर्जा को

 

रमणीय माँ रूप विलीन वो

मिट्टी में ही समा गई

देकर सबक़ अपने भक्तों को

मिट्टी की ही माया है सब

मिट्टी में ही मिल जाना है…!

-अनिता चंद (नई दिल्ली)

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