लेखक की कलम से

स्वयं चल…

चल”मंजु”अब खुश

रहने की पुरजोर कोशिश कर

तुझे पता है ना कि तेरे दुःख में भी

कोई शामिल होने वाला नही रहा

मुस्कुरा हर पल क्योंकि

तुझे रोते हुए भी तो

अब चुप कराने वाला

कोई नही रहा

जिंदगी जी ले अब बिंदास हो

क्योंकि साथ देने वाला

साथ जिंदगी बिताने वाला

अब जीवन राह में कोई नही

चल उठ और पार कर

जीवन धारा स्वयं ही

नही हाथ थामने को

अब तेरे पास अपना

क्यो सोचती हैं कि कोई

देगा लाकर खुशियां

खुद ही अपनी खुशी को

तलाशना होगा तुझे ही

कोई साथ आया नही

न जाएगा कोई साथ

चल उठ और पार कर

जीवन डगर को अपनी

 

© डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद    

Back to top button