लेखक की कलम से
दर्द अपना…..
दर्द अपना किसी को सुना ना सकी
वो लड़की कभी मुस्कुरा ना सकी
हाल-ए-दिल बयां करती तो कैसे
जो अपनों को कभी रुला ना सकी
तन्हाई में छुप – छुपकर रोती रही
पर आंसू किसी को दिखा ना सकी
ससुराल की रंजिशो से जूझती रही
साथ क्या क्या हुआ बता ना सकी
घुटन से अच्छी उसको मौत लगी
अपनों को कभी आजमा ना सकी
उसका दर्द क्या लिखेगा ‘ओजस’
जिस खुद्दार को मौत डरा ना सकी
@राजेश राजावत “ओजस” मध्यप्रदेश