लेखक की कलम से

ना सता ऐ इंसान..किसी को इतना….

 

ना सता ऐ इंसान किसी को इतना , कि खुद को ही भूल जाए,,,,

इतनी आसानी से सबको रुला कर छोड़ जाए,,,

 

खो दे जो अपनी मुस्कुराहट तेरी इसी बजह से,,,

कि एक दिन खुद की जिंदगी से रूठ जाए,,,

 

ना कर इतना परेशां कि कोई खुद को इस मुकाम पर ले जाए,,,

हसीं जिंदगी को एक पल में अलविदा कह जाए,,,

 

ना सता ऐ इंसान किसी को इतना, कि खुद को ही भूल जाए….

ना सता ऐ इंसान किसी को इतना, कि खुद को ही भूल जाए….

 

 

©प्रज्ञा शिवहरे, शिवपुरी, मध्यप्रदेश

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