लेखक की कलम से

करें रक्तदान …

रक्त संचारित इस शरीर ने

न जाने कई ऐसे माहौल देखे

कतरा कतरा खून को तरसते मानव देखे

नन्हें बालक को क्या एहसास

कितनी पीड़ा सह रहे रक्त हीनता से

मानव हैं हम कोई पशु नहीं

इंसानियत के खातिर है आगे बढ़ना

रक्तदान कर है अपना कर्त्तव्य निभाना

है एकता इसी में अपनी

नहीं कोई भिन्नता रक्त में अपने

लाल रंग से सींचा गया हर इंसान है

फिर किस बात से हर मानव अनजान है

श्रृंखला मानवता की जोड़े रखना है

एक भी बूंद गर काम आए

खुशी से हमें आगे बढ़ना है

संपूर्ण वसुधा है कुटुंब हमारी

फिर क्यों रक्त दान से पीछे हटना है

दिया है मौका रब ने जो मानव धर्म निभाने का

रक्तदान से चिराग किसी घर का जलाना है

न हो सांसें बंद किसी की रक्तहीनता से

न हो गुम सकारात्मकता समाज से

सक्रिय भागीदार बने, रक्तदान करें

आइए स्वस्थ समाज के गठन में अपना योगदान करें।

 

©डॉ. जानकी झा, कटक, ओडिशा                                 

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