लेखक की कलम से

प्रेम के गीत …

आपको अपना बनाने लगे
प्यार के गीत हम गुनगुनाने लगे
छाई मस्ती तेरी तन बदन पर मेरे
आपके आगोश में हम समाने लगे

कट गई कैसे रात आंखो में
प्रेम के गीत जब वो सुनाने लगे
बात ही बात में हम तो खो ही गए
बोल उनके बडे़ ही सुहाने मन भाने लगे

उनकी बांहों का हार जब पड़ा बांह पर
उनके गले से लिपट कर हम शरमाने लगे
मिलन की प्रेम धारा में अपने बहाकर मुझे
जिस्म जां ही नही रूह में वो मेरे समाने लगे

 

©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज               

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