लेखक की कलम से

घरहीं रहिह कोरोनवा के हरैइहा …

 

देख इ सावन के रौदा

खेतवन में मुरझैलो पौधा

खत्ता खैया भरल हो भैया

करींग लगा पटावे जइहा

लाठा कुड़ी भूला गेल भैया

टुल्लु पंप चलावे दैया

देख इ सावन के रौदा

गाय गोरु के सुखल हौदा!

 

   ©लता प्रासर, पटना, बिहार   

Back to top button