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प्रदेश में सौ करोड़ का परिवहन टैक्स हो सकता है माफ, फिर भी सरकार और बस ऑपरेटरों के बीच टकराव की स्थिति

भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने बस ऑपरेटरों को बसों के संचालन के लिए एक पखवाड़ा पहले अनुमति दे दी थी, लेकिन संचालकों द्वारा अब तक बसें शुरू नहीं की गई। लॉकडाउन अवधि की टैक्स माफी को लेकर राज्य सरकार और बस ऑपरेटरों के बीच टकराव की स्थिति अब भी बनी हुई है। सरकार पर बस ऑपरेटरों का दबाव है। इसे देखते हुए परिवहन आयुक्त 100 करोड़ की टैक्स राशि माफ कर सकते हैं।

दरअसल बस आपरेटरों ने लॉकडाउन लागू होने के बाद 25 मार्च से बसों का संचालन बंद कर दिया था। तब से लेकर अब तक ढाई माह से बसों का संचालन बंद है लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इस अवधि के परिवहन टैक्स माफ करने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। मतलब ये की वर्तमान स्थिति में लॉकडाउन अवधि का भी टैक्स पहले की प्रथानुसार ही लिया जा रहा है। वहीं आपरेटरों की मांग है कि जितने दिनों तक बसों का परिवहन नहीं हो सका है, उस अवधि का टैक्स राज्य सरकार माफ कर दे।

राज्य सरकार ले सकती है बड़ा फैसला

सूत्रों की मानें, तो राज्य सरकार अगले कुछ दिनों में प्रदेश के बस आपरेटरों को बड़ी राहत दे सकती है। लिहाजा लॉकडाउन अवधि का लगभग 100 करोड़ रुपये का परिवहन टैक्स सरकार माफ कर सकती है। वहीं सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के तहत संचालन करने पर टैक्स में भी राहत मिल सकती है। बताया जा रहा है कि परिवहन विभाग ने इस संबंध में तैयारी शुरू कर दी है और शीघ्र ही इस संबंध में ठोस निर्णय ले लिया जाएगा।

 लोगों को बसें चलने का इंतजार

प्रदेश के बस ऑपरेटर फिलहाल बसों का संचालन नहीं कर रहे हैं, ऐसे में प्रदेश के नागरिक जो कि एक जिले से दूसरे जिले में जाना चाहते हैं और उनके पास जाने के लिए निजी साधन उपलब्ध नहीं है, उन्हें अब बसों के संचालन का इंतजार है। राज्य सरकार ने अनलॉक की अवधि से बसों के परिचालन की अनुमति दी है।

 क्षमता के अनुसार टैक्स ले सरकार

अनलॉक होने और सरकार से परिचालन की अनुमति के बाद भी बसें संचालित नहीं हो रही है तो उसके पीछे फिजिकल डिस्टेंसिंग का वह नियम भी अहम है, जिसे मानने के लिए आॅपरेटर बाध्य हैं। इस नियम का पालन करने के बाद ऑपरेटर बसों की क्षमता का आधा ही उपयोग कर पाएंगे। यानी 50 सीटर बसों में भी 25 यात्री को ही बैठा सकेंगे। ऑपरेटरों का तर्क है कि परिचालन का खर्च तो पहले की ही तरह होगा। इसलिए यह जरूरी है कि आधी क्षमता के साथ चलेंगे तो उसी अनुपात में राज्य सरकार भी टैक्स को आधा करे। यदि सरकार टैक्स आधा नहीं करती है तो फिर किराया दोगुना करने की अनुमति दे। बता दें, कि ऐसे में यदि किसी स्थान की यात्रा पर यात्रियों को पहले 100 रुपया देना पड़ रहा था तो किराया बढ़ने के बाद उन्हें 200 रुपया देना होगा। तभी ऑपरेटरों के लिए बसों का संचालन करना संभव होगा, नहीं तो बस संचालकों को घाटा उठाना पड़ेगा।

 मुख्यमंत्री का आश्वासन

हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने इंदौर प्रवास के दौरान प्रदेश के बस आपरेटरों से मुलाकात की है और उन्होंने अफसरों के साथ शीघ्र ही ऑपरेटरों की मीटिंग कराकर इस समस्या का निराकरण करने का भरोसा दिलाया है।

 बीमा की प्रीमियम आगे शिफ्ट हो

ऑपरेटरों ने बसों की बीमा पॉलिसी भी ली हुई है। इसके लिए पहले ही प्रीमियम की राशि जमा की हुई है। ऐसे में ऑपरेटरों की मांग है कि लॉकडाउन अवधि में बीमा प्रीमियम की राशि को आगे के माह में एडजस्ट कर दिया जाए। जिस अवधि में बसों का व्यवसायिक परिचालन हो रहा हो। मतलब ये कि लॉकडाउन अवधि का प्रीमियम नहीं लिया जाए। इस पर भी अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। उल्लेखनीय है कि ऑपरेटरों को परिवहन टैक्स भी एडवांस में ही प्रति माह जमा कराना होता है और बीमा पॉलिसी भी अग्रिम लेना होती है।

 इसलिए बड़ा टैक्स माफी का दबाव

देश में भाजपा शासित राज्यों में लॉकडाउन अवधि का बसों का टैक्स माफ हो चुका है। इसलिए भी अब मध्यप्रदेश पर टैक्स माफी का दबाव बढ़ गया है। देश में भाजपा शासित राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और गोवा जैसे राज्य पहले ही लॉक डाउन अवधि का परिवहन टैक्स माफ कर चुके हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी परिवहन टैक्स माफ कर दिया है।

 छत्तीस करोड़ टैक्स हर माह मिलता है

राज्य सरकार को प्रतिमाह लगभग 36 करोड़ रुपये परिवहन टैक्स मिलता है। वहीं वर्ष में यह राशि करीब 432 करोड़ रुपए होती है। इस तरह 25 मार्च से परिवहन शुरू होने की अवधि तक कुल 100 करोड़ रुपये का टैक्स राज्य सरकार माफ कर सकती है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में प्राइम रुट पर 45 हजार बसों का परिचालन होता है। इस हिसाब से एक बस से औसतन 8 हजार रुपये टैक्स परिवहन विभाग द्वारा लिया जाता है।

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