नई दिल्ली

कपिल सिब्बल को नहीं है सुप्रीम कोर्ट से ‘उम्मीद’, गुजरात दंगों में आरोपी रहे नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट का किया जिक्र …

नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल को सुप्रीम कोर्ट से कोई ‘उम्मीद’ नजर नहीं आती। हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह बात कही है। उन्होंने गुजरात दंगों को लेकर आरोपी रहे तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट से लेकर प्रवर्तन निदेशालय के शक्तियों तक का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है कि ‘संवेदनशील मामलों’ को केवल चुनिंदा न्यायाधीशों के पास ही भेजा जाता है और आमतौर पर कानूनी बिरादरी को पहले ही फैसलों के बारे में जानकारी होती है।

दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में सिब्बल ने कहा, ‘अगर आपको लगता है कि आपको सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलेगी, तो आप बड़ी गलती कर रहे हैं। मैं यह सुप्रीम कोर्ट में 50 साल प्रैक्टिस करने के बाद कह रहा हूं।’ उन्होंने कहा कि भले ही कोर्ट की तरफ से कोई ऐतिहासिक फैसला सुनाया जाए, लेकिन उससे जमीनी हकीकत बमुश्किल ही बदलती है।

उन्होंने कहा, ‘इस साल मैं सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस के 50 साल पूरे कर लूंगा और 50 सालों केबाद मुझे लगता है कि संस्थान से मुझे कोई उम्मीद नहीं है। आप सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए प्रगतिशील फैसलों के बारे में बात करते हैं, लेकिन जमीनी स्त पर जो होता है उसमें बहुत फर्क है। सुप्रीम कोर्ट निजता पर फैसला देता और ईडी के अधिकारी आपके घर आते हैं… आपकी निजता कहां है?’

2002 गुजरात दंगों के मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने तत्कालीन सीएम मोदी को क्लीन चिट दे दी थी। इसके खिलाफ पूर्व कांग्रेस विधायक एहसान जाफरी की विधवा जाकिया ने याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सिब्बल ने इस कदम को लेकर भी एपेक्स कोर्ट की आलोचना की है।

साथ ही उन्होंने PMLA के प्रावधानों को बरकरार रखने और नक्सल विरोधी आंदोलन के दौरान 17 आदिवासियों की कथित न्यायेतर हत्याओं की स्वतंत्र जांच की मांग करती याचिका को खारिज करने को लेकर भी कोर्ट की आलोचना की। खास बात है कि PMLA के प्रावधानों को चुनौती दे रहे याचिकाकर्ताओं और जाकिया जाफरी की तरफ से सिब्बल ही कोर्ट में पेश हुए थे।

उन्होंने कहा, ‘… मैं उस कोर्ट के बारे में इस तरह से बात नहीं करना चाहता, जहां मैंने 50 सालों तक प्रैक्टिस की है, लेकिन समय आ गया है। अगर हम नहीं बोलेंगे, तो कौन बोलेगा? सच्चाई यह है कि कोई भी संवेदनशील मामला, जिसमें हम जानते हैं कि कोई परेशानी है, उन्हें कुछ ही न्यायाधीशों के सामने रखा जाता है और हम परिणाम जानते हैं।’

राज्यसभा सांसद ने कहा कि अगर लोग अपनी मानसिकता नहीं बदलेंगे, तो स्थिति नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा, ‘भारत में हम जानते हैं कि हमारे पास माई-बाप का कल्चर है, लोग ताकतवर के पैरों में गिरते हैं। लेकिन समय आ गया है कि लोग बाहर आएं और अपने अधिकारों के लिए सुरक्षा मांगें।’ उन्होंने धर्म संसद मामले का भी जिक्र किया और कहा कि आरोपी गिरफ्तार नहीं हुए हैं और अगर गिरफ्तार हो भी जाते हैं, तो उन्हें 1-2 दिनों में जमानत मिल जाएगी और वे दो सप्ताह के बाद फिर धर्म संसद की बैठकें करने लगेंगे।

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