लेखक की कलम से

छत्तीसगढ़ के माटी म ….

तोर कोरा म जंगल झाड़ी,

हावे पाहर परबत घाटी,

तय जियत मरत के साथी,

मोर छत्तीसगढ़ के माटी  ||

 

हलधरिया के हो हो ता ता,

धनहा डोली मन के बोली,

महानदी कस लहरा मारत,

मोर छत्तीसगढ़ के माटी म ||

 

कौशल्या तोर दुलौरीन बेटी,

भांचा सही सिरिराम घलो

रइपुर जइसे रजधानी हावे,

मोर छत्तीसगढ़ के माटी म ||

 

बिरनरायन कस बेटा मिलगे,

गरजिस हावे सोनाखान ले,

अपन परजा के खातिर घलो,

मोर छत्तीसगढ़ के माटी म ||

 

गुरु घांसी के बानी निरमल,

सच के रद्दा देखाथे ओहर,

सुंदर लाल घलो गाँधी इहाँ,

मोर छत्तीसगढ़ के माटी म ||

 

तोर नित नित गुन ल गाबो

बिहिनिया सुरुज ल परघाबो,

महतारी तोर सेवा बजाबोन,

मोर छत्तीसगढ़ के माटी म,

मोर छत्तीसगढ़ के माटी म ||

“जय जोहार”

 

©योगेश ध्रुव, धमतरी, छत्तीसगढ़                                                

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