जय जोहार वाली लुगड़ी …
बाजारा में जद “जय जोहार” वाली लुगड़ी आती।
ओ जी भंवर जी सतरंगी लुगड़ी में भी खरीदर लाती।
बाजारा में जद “जय जोहार” वाली लुगड़ी आती।
ओ जी बलम जी सात रंगारी लुगड़ी में भी खरीदर लाती।
ओड़ वाने में भी मन ही मन मुस्काती।
पीली लुगड़ी ओढ़ जद में बसंत पंचमी रा उपलक्ष्य माय खेता में जाती आड़ोसन पाड़ोसन रे खेता री सरसों भी पीली पड़ जाती।
बाजारा में जद “जय जोहार” वाली लुगड़ी आती।
ओ जी भंवर जी सतरंगी लुगड़ी में भी खरीदर लाती।
केसरिया लुगड़ी ओढ़ जद में आभागढ़ रो किलो देखण जाती।
म्हारे पुरखा री धरोहर रे आगे सौ सौ बार शीश नवाती।
हरे रंग री लुगड़ी ओढ़ जद में खेता ने नींदण जाती।
जल,जंगल,जमीन से सदा जुडी़ मनरा ने पाती।
नीली लुगड़ी ओढ़ जद में जेटूता रे ब्याह में जाती।
म्हारे घर आंगन रे माया खुशियां अपार छा जाती।
लाल रंग री लुगड़ी ओढ़ जद में ओजस्विता से भर जाती।
बिरसा मुंडा, काली बाई जी रो बलिदान री याद दिलाती।
गुलाबी रंग री लुगड़ी ओढ़ जद में मायरा में जाती ।
देख म्हारा भाई भतीजा रे गुलाबी गुलाबी गाल में भी तो हर्षाती।
बाजारा में जद “जय जोहार” वाली लुगड़ी आती।
ओ जी भंवर जी सतरंगी लुगड़ी में भी खरीदर लाती।
©कांता मीना, जयपुर, राजस्थान