छत्तीसगढ़

बेबस हुए अफसर : 42 हाथियों ने तोड़े 3 मकान, रौंदा खेत, ग्रामीणों ने भागकर बचाई जान…

बैकुंठपुर। पिछले चार दिन से 42 हाथियों ने खड़गवां वन परिक्षेत्र के सकड़ा सर्कल में जमकर उत्पात मचा रहे हैं। नेवरी, पैनारी में सोमवार, मंगलवार रात को घुसे हाथियों के दल ने 3 कच्चे मकान तोड़ दिए और राशन खा गए। वहीं 35 किसानों की फसलें भी तहस-नहस कर दीं। इस दौरान ग्रामीणों ने वहां से भागकर अपनी जान बचाई। हाथियों के डर से सारी रात ग्रामीण स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र में शरण लिए रहे। वन विभाग की टीम ने प्रभाविता ग्रामीणों को भोजन करवाया, साथ ही उनकी सुरक्षा में पूरी रात डटे रहे।

सकड़ा सर्कल में कटघोरा, कोरिया के रास्ते मप्र की ओर गया 42 हाथियों का दल खड़गवां वन परिक्षेत्र में फिर एक बार घुस आया है। हाथियों ने आते ही खेत, खलिहान में पके धान के साथ अनाज, महुआ के लिए कच्चे मकानों पर धावा बोल दिया। हाथी दल महादेवपाली, मेंड्रा, नेवरी, बेहबहरा, धौराठी के गांव के आसपास जंगल में विचरण कर रहा है। देर रात हाथी गांव में पहुंचकर उत्पात मचाना शुरू कर देते हैं। इससे पहले दल ने लालपुर, जरौंधा, फुनगा में 20 किसानों की फसल को रौंद दिया था। वहीं एक मकान को तोड़ दिया था। कच्चे मकानों को तोड़कर हाथी घर के अंदर रखा राशन और धान चट कर गए। हाथियों के उत्पात से ग्रामीण परेशान हैं।

बेलबहरा बीट के गांवों में पिछले 4 दिन से हाथियों के उत्पात मचाने का सिलसिला जारी है। रोज रात हाथी का दल जंगल से लगे आसपास के गांव में धावा बोल देता है। वन विभाग के अफसर जरूर हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखने की बात करते हैं, लेकिन इससे ग्रामीणों का नुकसान कम नहीं हो रहा है। मुआवजा भी पर्याप्त नहीं है, जिससे गुजारा हो सके। वन विभाग दिन में ग्रामीणों की सहायता से हाथियों को गांव से दूर भगाने का प्रयास भी कर रहा है, लेकिन कोई सफलता नहीं मिल पा रही है। बताया जा रहा है कि हाथी दल कटघोरा की ओर आगे बढ़ सकता है।

रेंजर अर्जुन सिंह ने बताया कि गांव में वन विभाग की टीम बनी हुई है। गांव वालों को हाथियों से सर्तक रहने मुनादी कराई जा रही है। उन्हें हाथियों से दूर रहने सुरक्षात्मक उपाए भी बताए जा रहे हैं। डीएफओ के निर्देश पर यहां गजराज टीम लगातार हाथियों पर नजर बनाई हुई है। वहीं लोगों को सुरक्षित रखा जा रहा है।

पैनारी के पंडोपारा का क्षेत्र हाथी से प्रभावित है। यहां की जनसंख्या लगभग 60 के करीब है। यहां 7 से 8 परिवार निवास करते हैं। दिन में यहां के ग्रामीण अपने घरों में रहते हैं व शाम से पहले खाना खाकर ग्रामीण अंधेरा घिरते ही यहां के प्राथमिक स्कूल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्रों में पनाह लेते हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि हाथी जंगल में रहें हमें कोई दिक्कत नहीं, लेकिन हमारी सुरक्षा के साथ हमारे घर, फसल व सालभर की उपज की भी सुरक्षा होनी चाहिए। हाथियों से जानमाल, घर, फसल बचना मुश्किल हो गया है। ग्रामीण चिंता में रात-रात भर सो नहीं पाते। यहां के ग्रामीणों की परेशानी दूर होने का नाम ही नहीं ले रही है।

सूचना मिलने पर रात में ही वन विभाग व पुलिस की टीम मौके पर पहुंच गई। प्रभावित ग्रामीणों को पैनारी के ग्राम पंचायत, स्कूल व आंगनबाड़ी सहित सुरक्षित स्थानों पर रहने की व्यवस्था कराई गई। पंचायत व वन विभाग की ओर से ग्रामीणों को खाने-पीने, रहने की सुविधा उपलब्ध कराई गई। हाथी आसपास के जंगल की ओर चले गए हैं, लेकिन हाथियों का उत्पात यहीं खत्म नहीं हुआ है। पिछली बार खड़गवां में आए हाथी 20 दिन रुके थे। अब यहां उनके खाने के लिए पर्याप्त फसल है। नुकसान व मुआवजे को लेकर ग्रामीण चिंतित हैं।

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