राजस्थान

रामचरितमानस की चौपाई लिखकर जज ने कुकर्मी पिता को बेटी के साथ दुष्कर्म के मामले में सुनाई उम्रकैद की सजा….

जयपुर। राजस्थान के कोटा में अपनी ही मासूम बेटी के साथ दुष्कर्म करने वाले हैवान पिता को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोषी पिता को अंतिम सांस तक जेल की सजा सुनाने के साथ कोर्ट ने फैसले में रामचरित मानस की चौपाई लिखी।

गुरुवार को कोर्ट नंबर-3 के जज दीपक ने आरोपी पिता को लेकर फैसला सुनाते हुए लिखा- नाबालिग अवस्था से बालिग अवस्था तक शारीरिक संबंध बनाना मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। संभवतया ऐसा उदाहरण दानवों में भी नहीं पाया जाता। पीड़िता नेशनल प्लेयर है।

कोर्ट ने आरोपी पिता को लेकर फैसले में रामचरित मानस की चौपाई लिखी। जिसमें कहा- ‘अनुज वधु भगिनी सत नारी, सुनु सठ कन्या सम ऐ चारी। इन्हहि कुदृष्टि बिलोकई जोई, ताहि वध कछु पाप न होई’

इस चौपाई का अर्थ है कि- छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी, और पुत्री में कोई अंतर नहीं है। किसी भी पुरुष के लिए ये समान होनी चाहिए। इन पर कुदृष्टि रखने वाले या अपमान करने वाले का वध करना पाप की श्रेणी में नहीं आता है।

इसी के साथ कोर्ट ने पीड़िता को पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी अनुशंसा की है। पीड़िता ने अपने बयानों में बताया कि 14 साल की उम्र से ही पिता उससे दुष्कर्म करता आ रहा है। अब वह नेशनल प्लेयर है।

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