बेहतर समाज निर्माण बेहतर शिक्षा से ही संभव: प्रमोद दीक्षित
बांदा। विद्यालय समाज की संपत्ति है सरकार की नहीं इसलिए विद्यालय के प्रति समाज में अपनेपन का भाव विकसित हो, यह बहुत जरूरी है। किसी गांव में स्थित विद्यालय वास्तव में उस गांव का शैक्षिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक केंद्र होता है। हम किस प्रकार का समाज निर्माण करना चाहते हैं उसका रास्ता विद्यालय से ही निकलेगा। इस वर्ष नामांकित होने वाले बच्चे बिना बाधा के अपनी 12वीं तक के शिक्षा पूर्ण कर सकें, ऐसी योजना समाज, शिक्षक, अभिभावक और ग्राम पंचायतों को मिलकर बनानी होगी। गांव का कौशल, बुद्धि, कला, मेधा का उपयोग गांव के विकास के लिए होना चाहिए।
उक्त विचार शिक्षाविद प्रमोद दीक्षित मलय ने लोकमित्र द्वारा ब्लॉक सभागार तिंदवारी में आयोजित एक कार्यक्रम ‘शिक्षा संवाद’ में मुख्य संदर्भ व्यक्ति के रूप में क्षेत्र से आए हुए अभिभावकों, ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों एवं विद्यालय प्रबंध समितियों के सम्मुख व्यक्त किये। आगे कहा कि हम 10 साल बाद किस प्रकार का समाज चाहते हैं, उसके लिए आज सबको मिल बैठकर विचार करना होगा।
10 साल बाद किस प्रकार के नागरिक के रूप में आज के बच्चे का विकास हो, उसकी कार्यनीति का क्रियान्वयन आज ही करना होगा। हमको बच्चों को इस प्रकार के नागरिक के रूप में विकसित करना है जो गांव की समस्याओं को समझ कर उसका समाधान भी कर सकें। जो मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत हों, जो जल, जमीन, जन, जानवर के महत्व को समझते हुए एक बेहतर पर्यावरण निर्मित कर सकें। वे आर्थिक दृष्टि से संपन्न हों, इसलिए स्कूलों में रोजगार परक शिक्षा बहुत जरूरी है।
हमारे गांव में स्थानीय ज्ञान के रूप में उपलब्ध परंपरागत कलाएं जैसे डलिया बनाना, दरी बुनना, मिट्टी के बर्तन बनाना, लकड़ी एवं लोहे से वस्तु एवं औजार बनाना जैसे कामों से बच्चों को जोड़ना होगा। इससे बच्चे श्रम के महत्व को समझ सकेंगे और परंपरागत ज्ञान को अगली पीढ़ी तक ले जाने में समर्थ होंगे। इसके साथ ही समुदाय को शिक्षकों के साथ मिलकर योजना बनानी चाहिए जिसमें कक्षा 2 के बच्चे भाषा की पुस्तकें पढ़ सकें। पांचवी के बच्चे एक कुशल पाठक के रूप में विकसित हो और वे दैनंदिन व्यवहार में गणित के सामान्य लेनदेन को समझ सकें।
भेदभाव रहित समता-ममतायुक्त समरस समाज निर्माण में अपनी सम्यक भूमिका निर्वहन कर सकें। इसके लिए शुरुआत परिवार से करनी होगी। अभिभावकों को संबोधित करते हुए प्रमोद दीक्षित ने कहा के मोहल्ले में समूह बनाकर अखबार और पत्रिकाएं पढ़ें एवं दूसरों को सुनाएं। गांव में अब शिक्षा पर चर्चा बहुत जरूरी है। इसके पूर्व कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए लोकमित्र के काउंसलर अमृतलाल ने कहा की गांव के विकास के लिए हमको दीर्घ एवं लघु कालीन योजनाएं बनानी होंगी। 10 साल बाद हम गांव को किस रूप में देखना चाहते हैं, इसके लिए आज सोचना होगा।
कार्यक्रम में खंड विकास अधिकारी तिंदवारी तथा डभनी, डिभौरा, मुंगूस, पपरेंदा आदि के प्रधानों ने भी विचार रखें। प्रबंध समिति के अध्यक्ष देवनंदन ने कहा कि हर माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है ताकि वह बेहतर जीवन जी सकें। आभार कार्यक्रम समन्वयक रामनरेश ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।