रायपुर

ब्लैक आऊट होने पर 20 मिनट में पहुंचाई जा सकेगी बिजली – शुक्ला

रायपुर। आपात स्थिति में पॉवर प्लांट के ब्लैक आऊट होने पर कोरबा बिजली संयंत्रों को शुरू करने महज 20 मिनट में जल विद्युत संयंत्रों से बिजली पहुंचाई जा सकेगी। ब्लैक आऊट होने की स्थिति में पावर प्लांटों को फिर से रिचार्ज करना कठिन होता है, इसके लिए तुरंत बिजली की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी तत्काल आपूर्ति जल विद्युत संयंत्रों से ही हो सकती है। इसी प्रक्रिया का एक अभ्यास (मॉकड्रील) छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के डगनिया स्थिति लोड डिस्पैच सेंटर में किया गया। इस पूर्वाभ्यास में विकट विद्युत संकट में कोरबा के थर्मल पावर प्लांट को बांगों स्थिति जल विद्युत संयंत्र से स्टार्ट-अप पॉवर भेजकर 20 मिनट में चालू करने में सफलता प्राप्त की गई। इस मॉकड्रिल की मानीटरिंग मुंबई स्थित वेस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर के एक्सपर्ट इंजीनियर भी कर रहे थे।

शैलेंद्र कुमार शुक्ला

छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनीज के चेयरमैन शैलेंद्र कुमार शुक्ला एवं ट्रांसमिशन कंपनी की प्रबंध निदेशक श्रीमती तृप्ति सिन्हा के कुशल मार्गदर्शन में यह मॉकड्रील पूरा हुआ। इस ‘‘ब्लैक स्टार्ट-ग्रिड रिस्टोरेशन” मॉकड्रिल के माध्यम से यह आंकलन करने में कामयाबी मिली कि विकट विद्युत संकट की घड़ी में अधिकतम 20 मिनट में कोरबा पूर्व ताप विद्युत संयंत्र के पुर्नसंचालन हेतु स्टार्ट अप पॉवर दिया जा सकेगा। इंडियन इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड कोड और स्टेट ग्रिड कोड के निर्देशानुसार साल में दो बार इस तरह का मॉकड्रिल करना होता है। अंतर्राज्जीय बिजली ग्रिड ठप होने की स्थिति में ठप बिजली व्यवस्था को जल्द से जल्द बहाल करने हेतु यह मॉकड्रील छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन, जनरेशन एवं डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के इंजीनियरों द्वारा सामूहिक रूप से किया गया। इसमें डगनिया स्थिति लोड डिस्पैच सेंटर में ईडी (कार्यपालक निदेशक) केएस मनोठिया, ईडी (जनरेशन) एनके बिजौरा, एसीई जेके वैद्य, एसई आर अरविंद, श्रीमती एस सोनवानी, वाईके राव, एई जीपी सिंग, जितेंद्र झा, सुदर्शन पॉल, नामिता लकड़ा, जे गोम्स, बांगो जल विद्युत गृह से एसई जीपी सोनी, श्रीमती कल्पना घाटे, पूर्णिमा शुक्ला तथा कोरबा में एसई पीवी संजीव शामिल रहे।

मॉकड्रिल के दौरान सर्वप्रथम बांगो जल विद्युत परियोजना की एक 132 के.व्ही. उपकेन्द्र से जमनीपाली, छुरीखुर्द एवं कोरबा उपकेन्द्र तक एक आईलैन्ड सबसिस्टम बनाया गया। इसके माध्यम से बांगो बिजली संयंत्र में ब्लैक आउट की स्थिति निर्मित की गई। इस तरह एक बनावटी बिजली संकट जमनीपाली एवं कोरबा क्षेत्र में निर्मित किया गया। इसके पश्चात् इंजीनियरों की टीम ने युद्धस्तर पर बिजली संकट क्षेत्र में बिजली बहाली की प्रक्रिया प्रारंभ किया। इसके लिए बांगो में उपलब्ध डीजल जनरेटर सेट से बंद जल विद्युत इकाई क्रमांक तीन को सर्विस में लेकर 132 के.व्ही. उपकेन्द्र के बस को चार्ज किया गया और वहां उत्पादित बिजली को132 के.व्ही. लाईन छुरीखुर्द तथा जमनीपाली के माध्यम से कोरबा पूर्व के उपकेन्द्र तक पहुंचाई गई और पूर्व-निर्धारित 33.11 केवी विद्युत फीडर को एक के बाद एक चालू कर बांगो की जल विद्युत इकाई से करीब 20 मेगावाट लोड लिया गया। इस तरह ब्लैक आउट की स्थिति में लगभग 20 मिनट में बांगो जल विद्युत गृह से कोरबा पूर्व ताप विद्युत गृह को स्टार्ट अप पॉवर पहुंचाई गई।

विदित हो कि देश के पश्चिम क्षेत्रीय ग्रिड से छत्तीसगढ़ सहित गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र इत्यादि राज्य जुड़े हुये हैं। कई राज्यों से जुड़े विशाल ग्रिड के संचालन में कभी गड़बड़ी आने की स्थिति में बिजली संयंत्रों को फिर से चालू करने में अनेक कठिन चुनौतियां होती हैं। गौरतलब है कि 2012 में 30-31 जुलाई को देश के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र के ग्रिड में आई ब्लैक आउट से देश के 21 राज्यों में पावरसप्लाई ठप हो गई थी। वहीं पश्चिम क्षेत्र एवं छत्तीसगढ़ इससे अप्रभावित रहा। इन्हीं परिस्थितियों में त्वरित बिजली सेवा बहाली के लिए मॉकड्रील किया जाता है। ब्लेक आउट कीस्थिति में विद्युत उत्पादन संयंत्र काम नहीं करता तब संयंत्रों के पुनर्संचालन हेतु हायडल (जल विद्युत) या गैस पर आधारित संयंत्रों का उपयोग किया जाता है। छत्तीसगढ़ की जनरेशन कंपनी में बांगो जल विद्युत संयंत्र को इस कार्य हेतु चिन्हांकित किया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button