रायपुर

उन्न्त कृषक सुमेर सिंह ने जरुरतमंदों के लिए दिया 1 ट्रक केला

कोरबा के लिए पहले दिए पपीता और केला

रायपुर {गुणनिधि मिश्रा} । बेमेतरा जिले के बेरला गांव के किसान सुमेर सिंह सांगवान ने लॉकडाऊन के कारण आर्थिक रूप से कमजोर और भुखमरी की शिकार जनता को राहत पहुंचाने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने लोगों को फिर एक ट्रक केला उपलब्ध करवाया है। पार्टी ने इन फलों को रायपुर की झुग्गी बस्तियों में वितरित करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी उन्होंने कोरबा माकपा को एक ट्रक पपीता और एक ट्रक केला पार्टी द्वारा उस क्षेत्र में चलाए जा रहे राहत कार्यों के लिए उपलब्ध करवाया था।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने बताया कि लॉकडाऊन की घोषणा के बाद से ही माकपा रायपुर में सीटू, नौजवान सभा और एसएफआई जैसे जनसंगठनों की मदद से राहत कार्य संचालित कर रही है और  रोज कम-से-कम 1000 प्रवासी मजदूरों तथा कमजोर वर्ग के तबके के लोगों को सूखा और पका हुआ भोजन उपलब्ध करवा रही है।

सूखे {कच्चा} भोजन में आलू, प्याज, तेल सहित राशन किट दिए जा रहे है, जबकि रोटी-सब्जी पके भोजन का हिस्सा होता है। कोटा के चंडी नगर, अमलीडीह, डंगनिया की खदान बस्ती, मठपारा, गोकुलनगर और त्रिमूर्ति नगर आदि क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों को नियमित रूप से राहत पहुंचाई जा रही है।

उन्होंने बताया कि सुमेर सांगवान द्वारा दिए गए फलों को पौष्टिक आहार के रूप में 1000 घरों में वितरित किया करने की योजना बनाई गई है। बाजार में इन फलों का मूल्य 50000 रुपयों से भी ज्यादा है। भोजन और राशन पैकेट के साथ ही इन फलों को वितरित करने का काम भी शुरू हो चुका है। ये राहत कार्य माकपा के राज्य सचिवमंडल सदस्य धर्मराज महापात्र और रायपुर माकपा के नेता प्रदीप गभने, एस सी भट्टाचार्य, अजय कन्नौजे, राजेश अवस्थी, शीतल पटेल, सीटू नेता प्रदीप मिश्रा, नवीन गुप्ता, विभाष पुतुटुंडी और शेखर नाग, पूर्णचन्द्र रथ, रतन गोंडाने, मनोज देवांगन, सुरेंद्र शर्मा, नीलेश सरवैया, सागर तांडी, इमरान हिंगोरा आदि के नेतृत्व में संचालित किया जा रहा है।

पराते ने जानकारी दी कि सुमेर सांगवान मूलतः हरियाणा के रहने वाले हैं और लंबे समय से यहां रहकर कृषि के कामों में लगे हैं। अपने छात्र जीवन में वे हरियाणा में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएसआई) के नेता थे और उन्हें छात्र आंदोलन के कारण सरकारी मशीनरी के निर्मम दमन का सामना करना पड़ा। छात्र आंदोलन में सक्रिय रहते हुए ही वे वामपंथी आंदोलन की ओर आकर्षित हुए और शोषितों और उत्पीड़ितों  की सेवा को उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। कोरोना के कारण समाज के सबसे निचले तबके के जीवन पर जो संकट आ खड़ा हुआ है, उससे निपटने के लिए भी वे यथाशक्ति इन तबकों की मदद कर रहे हैं।

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