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काबुल में फंसे 300 सिख कनाडा और अमेरिका से बचाने की लगा रहे हैं गुहार, कहा- तालिबान का भरोसा नहीं …

काबुल। काबुल के एक गुरुद्वारे में शरण लिए लगभग 300 सिखों ने एक एसओएस कॉल भेजा है। उन्होंने तालिबान द्वारा शासित अफगानिस्तान से अपने सकुशल वापसी का अनुरोध किया गया है। एक वीडियो संदेश में, काबुल के करता परवन गुरुद्वारे में सिखों को अमेरिका और कनाडा की सरकारों से अफगानिस्तान से बाहर निकालने की अपील करते देखा जा सकता है। सिखों ने हाथ जोड़कर कहा, “तालिबान के कारण काबुल की स्थिति बहुत नाजुक है। हमारा अनुरोध है कि अमेरिका और कनाडा के सिख संगठन हमें वहां ले जाने की व्यवस्था करें।”

हालांकि तालिबान नेता सिखों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन देने के लिए सामने आए हैं। वर्तमान में काबुल के एक गुरुद्वारे में शरण ले रहे एक सिख व्यक्ति ने कहा कि तालिबान लड़ाके पड़ोस में गश्त कर रहे हैं और उन्हें देख रहे हैं। उन्होंने कहा, “तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल यहां आया और कहा कि वे हमारे गुरुद्वारे को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि जब उनके कानून लागू होंगे तो क्या होगा।” तलविंदर चावला ने कहा कि हम तालिबान सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि परिवारों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों को जल्द से जल्द निकाला जाए। हमें नहीं पता कि आने वाले दिनों में क्या हो सकता है।”

आपको बता दें कि भारत सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह अफगानिस्तान से भाग रहे सिखों और हिंदुओं को आपातकालीन वीजा प्रदान करेगी।

काबुल के सिख व्यवसायी गुरदीप सिंह (बदला हुआ नाम) ने कहा था कि अफगान सिख भारत के बजाय अमेरिका या कनाडा में शरण लेना पसंद करेंगे। सिंह ने कहा, “ये दोनों देश पहले से ही वहां बसे अफगान लोगों की बहुत मदद कर रहे हैं।” उदाहरण के लिए, कनाडा सरकार ने घोषणा की है कि वह 20,000 “कमजोर” अफगानों को स्थायी रूप से बसाएगी, जिनमें सिख और हिंदू शामिल हैं, जो अब तालिबान के नियंत्रण में युद्धग्रस्त देश से भाग रहे हैं।

अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना से भागकर लगभग 15,000 अफगान सिख दिल्ली में रहते हैं। उनका आगमन दशकों पहले शुरू हुआ और आज भी जारी है।

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