लेखक की कलम से

प्रणब मुखर्जी : क्लर्क से महामहिम और भारत रत्न तक का सफर

(पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी को हार्दिक श्रद्धांजलि)

एक शालीन, शांत  और सशक्त किरदार की शानदार यात्रा का आज अंत हुआ। भारत रत्न, राजनीति के चाणक्य प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में आज निधन हुआ ईश्वर पवित्र दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।

श्री प्रणव मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर, 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी तथा माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। प्रणब मुखर्जी का विवाह बाइस वर्ष की आयु में 13 जुलाई, 1957 को शुभ्रा मुखर्जी के साथ हुआ था। उनके दो बेटे और एक बेटी है। प्रणब मुखर्जी के पिता एक सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए 10 वर्ष से अधिक समय कारागार में व्यतीत किया। श्री मुखर्जी रोजाना औसत 18 घंटे काम करने के आलावा किताबें पढ़ने, संगीत सुनने का शौक भी रखते थे वह लंबे समय से बीमार थे और दिल्ली के अस्पताल में भर्ती थे। प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन की जानकारी ट्वीट करके दी।

इससे पहले, प्रणब मुखर्जी का स्वास्थ्य और खराब हो गया था। अस्पताल ने बताया था कि उनके स्वास्थ्य में गिरावट दर्ज की गई क्योंकि उन्हें फेफड़े में संक्रमण की वजह से सेप्टिक शॉक लगा है। सेप्टिक शॉक एक ऐसी गंभीर स्थिति है, जिसमें रक्तचाप काम करना बंद कर देता है और शरीर के अंग पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त करने में विफल हो जाते हैं।

क्लर्क से राष्ट्रपति तक का उनका सफ़र देश के प्रति समर्पित रहा प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, लड़कियों की साक्षरता और स्वास्थ्य जैसी सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए समुचित धन का प्रावधान किया। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम, बिजलीकरण का विस्तार और जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन सरीखी बुनियादी सुविधाओं वाले कार्यक्रमों का भी विस्तार किया।

सन् 1984 में न्यूयार्क से प्रकाशित यूरोमनी पत्रिका के अनुसार वह दुनिया के पाँच सर्वोत्तम वित्त मंत्रियों में से एक थे। सन् 1997 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड मिला। वित्त मंत्रालय और अन्य आर्थिक मंत्रालयों में राष्ट्रीय और आन्तरिक रूप से उनके नेतृत्व का लोहा माना गया। वह लम्बे समय के लिए देश की आर्थिक नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं।

प्रणब मुखर्जी ने कई किताबें लिखी हैं जिनके नाम हैं, मिडटर्म पोल, बियोंड सरवाइवल, इमर्जिंग डाइमेंशन्स ऑफ इंडियन इकोनॉमी, ऑफ द ट्रैक- सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस तथा चैलेंज बिफोर द नेशन हैं।

भारत सरकार ने भी उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा है जो कि देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। उन्हें बूल्वरहैम्पटन और असम विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया है।

एसी महान विभूति को देश सदियों तक सादर याद रखेगा।

 

 

          ©भावना जे. ठाकर         

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