लेखक की कलम से

कोरोना …

छत्तीसगढ़ी रचना

नान नान आंखी,

गोल-गोल गाल,

ची-चाय ची,

परदेश ले आए,

तय हर कोरोना,

तहु हर रोवाय ।।

 

जियत ल मारे,

मरहा ल गाड़े,

देख एकर हाल,

सबो ल डरवाय,

कच्चा घलो खाय,

वहू ल नई पचाय,

तय हर कोरोना,

तहु हर रोवाय ।।

 

नाक ल तोपत हे,

मुहु दबावत घलो,

आँखी मुदावत हे,

छू झन गाल तय,

जियत ल मारत हे,

तय हर कोरोना,

तहु हर रोवाय ।।

 

सफा हर बचाए,

साबुन तय लगाय,

हाथ धो घेरी बेरी,

ये बिदेश ले आए,

जान घलो जावत,

सबो हर पछतावत,

तय हर कोरोना,

तहु हर रोवाय ।।

©योगेश ध्रुव ‘भीम’, धमतरी

Back to top button