लेखक की कलम से
होली …
नवरंग से भरी होली
लाई खुशियाँ होली
धुआँ उठा है गुलाल का
बीच नजर आ रहा
सैनिक मुस्कुराता
शेर की दहाड
मतवाला होकर
चिताह का वेग
खुश होकर
फाग की तान
पर नाच रहा
मदमस्त होकर
गुलाल छाया है
धरती-अंबर पर
मनाया त्योहार
अंबर मे भी
पुकार पुकार कह रहा
चलाओ तोपे
मारो दुश्मन को
बचने ना पाए एक भी
मा भारती की कसम
खेलेंगे आज खून की होली
भांग पिलाकर नचाएंगे
दुश्मन को भी
बंदूक चलाता
आगे बढ़ता
पुकारता सैनिक
भारत माता की जय …
©डॉ. अनिता एस कर्पूर, बेंगलूरु, कर्नाटक