लेखक की कलम से
क्या है कोई राम …
कितनी अहिल्या
जीती जागती
बनीं शिला
हुई भावशून्य !
उसी वजह से…
जो व्यापित सतयुग से
है अब तलक ! !
लिए लोलुपता
धर आवरण
कितने ही इन्द्र
तोड़ें मर्यादा
करें खंडित विश्वास…
अहिल्या हो शापित
बने परिहास ! !
कभी पत्थराई
कभी लिए उम्मीद
अपने राम की राह तकें
जो पकड़ हाथ
चले साथ…
दे सम्मान
रखे गरिमा का मान !
क्या है कोई राम ? ?
©अंजु गुप्ता
परिचय :- बीकाम, एमबीए, एमए अंग्रेजी, बीएड, क्षणिका, तुकांत, कहानियां, लघुकथाएं, सांझा कविता संग्रह, राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान प्राप्त.