लेखक की कलम से

प्रश्न अनिवार्य हैं …

 

व्यस्त है संसार सब

तुष्टि का न ओर छोर

उत्तरों में चर अचर…

रहे जीवन अग्रसर, इसलिए

प्रश्न किये जाने चाहिए।

 

सत्ता की नीतियों पर

समाज की कुरीतियों पर

संविधान के पक्षपात पर

सरकार से, अधिकार से

प्रश्न किये जाने चाहिए।

 

धर्म के व्यापार पर

भ्रांति निराधार पर

शास्त्र के आधार पर

ज्ञान के आगार से

प्रश्न किये जाने चाहिए।

 

जीवन के अस्तित्व पर

आदि पर और अंत पर

व्योम के उस पार फैले

दिग दिगन्त पर

प्रश्न किये जाने चाहिए।

 

पर प्रश्न तर्कपूर्ण हो

उत्तर अर्थपूर्ण हों

तुष्टि मन को दे सकें

ईश साकार पर,

सृष्टि मूलाधार पर

प्रश्न किए जाने चाहिए।

 

प्रश्न मगर स्वार्थ के

जो लक्ष्य कुत्सित ले बढ़े

उन पर विचार कर

प्रश्न के उद्देश्य भी

जान लेने चाहिए

फिर प्रश्न किए जाने चाहिए।।

 

 

©भावना सक्सैना, फरीदाबाद, हरियाणा

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