लेखक की कलम से

घौंसला …

युवा होते ही एक पक्षी

अपने साथी के साथ

दूसरी डाल पर घोंसला रख

बसा लेता है परिवार

उन्हें साथ रहने के लिए

नहीं करने पड़ते

विवाह जैसे कई मिथ्या आडम्बर

उनके मां बाप को

दहेज में नहीं देना होता

दाना, पानी, तिनकों का विशाल भंडार

नहीं गुजरते वे विवाह पूर्व की

पसंद नापसन्द जैसी

अनगिनत कठिन परीक्षाओं से

परखा नहीं जाता बार बार

मादा का गृह सज्जा और नर का भोजन जुटाने का कौशल

फिर भी चहचहाते, प्रेमालाप करते पक्षी

मनुष्यों की अपेक्षा

एक दूसरे का

अधिक लंबा और समर्पित साथ निभाते हैं

क्योंकि

उनके साथ होने की शर्त है मात्र प्रेम

और हम मनुष्यों की

प्रेम से इतर उपरोक्त सब ।।

 

 

©चित्रा पंवार, मेरठ, यूपी                        

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