बिलासपुर

उदयपुर में कविता कोरी, आशा उज्जैनी सहित छत्तीसगढ़ की शिक्षिकाओं ने ‘अरपा पैरी के धार’ की दी प्रस्तुति

सीसीआरटी राजस्थान का आयोजन

बिलासपुर। सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर राजस्थान में कला एवं शिल्प पर 11 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जिले की शिक्षिकाएं भी शामिल हुईं और उनहोंने अपनी प्रस्तुति दी। इस कार्यशाला का उद्देश्य भारत में विलुप्त होती सांस्कृतिक विरासत कला एवं शिल्प को संरक्षण देना है।

एनसीईआरटी नई दिल्ली के द्वारा सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण संस्थान सीसीआरटी उदयपुर राजस्थान में विद्यालयी शिक्षा में कला एवं शिल्प को महत्व देने 11 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यशाला में बिलासपुर से श्रीमती आशा उज्जैनी एवं कविता कोरी, दुर्ग से श्रीमती प्रज्ञा सिंह, बेमेतरा से श्रीमती सुचिता, सरगुजा से भावना सिंह, गरियाबंद से पुष्पा शुक्ला एवं भिलाई से वर्षा यादव शामिल हुईं। छत्तीसगढ़ की शिक्षिकाओं ने छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत आरपा पैरी के धार की प्रस्तुति दी। जिसे खूब सराहा गया। इसके अलावा कर्मा नृत्य और सुआ नाच की भी प्रस्तुति हुई।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत की विलुप्त होती सांस्कृतिक विरासत कला एवं शिल्प का संरक्षण करना है। भारत सरकार का यह मानना है कि इसके लिए एक सशक्त माध्यम स्कूल व वहां के शिक्षक हैं। इस कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न राज्यों के शिक्षक व शिक्षिकाओं ने अपनी सहभागिता निभाई। छत्तीसगढ़ से 7 शिक्षिकाओं का चयन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा जूट वर्क, टेराकोटा आर्ट, पेपर मेसी, फड पेंटिंग से आर्ट आदि का प्रदर्शन किया गया। छत्तीसगढ़ की संस्कृति, वेशभूषा, खानपान, गायन-नृत्य आदि को दिल्ली में खूब सराहा गया।

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