रायपुर

कांग्रेस ने कहा- किसानों को 10 हजार रुपए एकमुश्त भुगतान करे मोदी सरकार

रायपुर (गुणनिधि मिश्रा) । कोरोना की आपदा से व्याकुल है गरीब, मजदूर, किसान। केन्द्र सरकार किसान सम्मान निधि को बढ़ाकर 6 हजार रुपए से 10 हजार रुपए करे और यह राशि एक मुश्त दी जाए। कोरोना संक्रमण के शिकार हुये मजदूरों को केन्द्र सरकार क्षति पूर्ति राशि दें। गलत लाकडाउन नीति और केन्द्र सरकार के कुप्रबंधन के कारण मजदूरों को संक्रमण का शिकार होना पड़ा। दो माह बाहर के राज्यों में बीताने वाले मजदूरों को प्रति मजदूर 10 हजार रुपए की राशि की सहायता दें।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने मांग की है कि कोरोना की स्थिति को देखते हुये किसान सम्मान निधि में 6 हजार रुपए प्रतिवर्ष से बढ़ाकर कम से कम 10 हजार रुपए प्रतिवर्ष किया जाए। एक किसान दंपत्ति और तीन बच्चों के 5 सदस्यीय परिवार में 6 हजार रुपए की राशि 3 रुपए प्रति दिन प्रति सदस्य होती है जो जरूरतों को देखते हुये बहुत कम है।

उन्होंने मांग करते हुए कहा कि किसान सम्मान निधि में खेतीहर भूमिहीन किसानों और मजदूरों को भी शामिल किया जाये और उनको भी 10 हजार रुपए प्रतिवर्ष की राशि का लाभ दिया जाये और एक मुश्त दिया जाये। तमाम आर्थिक कठिनाईयों और लाकडाउन के परिणाम स्तर आर्थिक गतिविधियों के शून्य हो जाने के बावजूद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने किसानों को 5700 करोड़ का लाभ देने का फैसला लिया है। इसमें से 1500 करोड़ की पहली किस्त किसानों को छत्तीसगढ़ सरकार ने दे भी दी है।

छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा दी जा रही राशि को किसानों को अपमान निरूपित करने वाली भाजपा की केन्द्र सरकार को अब किसान सम्मान निधि की राशि को बढ़ाकर 10 हजार रुपए करने के साथ-साथ किसानों को यह राशि किस्तों में नहीं एक मुश्त देनी चाहिये। किसानों को राशि एक मुश्त देने वाले तर्कों को भाजपा नेताओं को केन्द्र सरकार के समक्ष रखना चाहिये।

भाजपा के समय दी गयी राशि के दुगुने से भी अधिक राशि कांग्रेस सरकार दे रही है। भाजपा सरकार ने तो 300 रुपए की बोनस की राशि भी किस्तों में दी थी। ऐसे समय भाजपा का दोहरा किसान विरोधी, छत्तीसगढ़ विरोधी चरित्र उजागर हो गया हैं।

छत्तीसगढ़ भाजपा के नेता अपने घर गांव पहुंच चुके मजदूरों से झूठी सहानभूति दिखा रहे है। वे घर पहुँच चुके मजदूरों से झूठी हमदर्दी ना जतायें। मोदी सरकार के द्वारा अचानक 24 मार्च से किये गये लॉक डाउन और उसमें पहले से बस ट्रेन के बंद होने से छत्तीसगढ़ सहित देशभर के मजदूर दूसरे राज्यों में 2 माह तक फंसे रहे। मजदूरों ने लाकडाउन में भूख, प्यास, रोजी-रोटी का नुकसान क्या-क्या नहीं झेला। मजदूर भूख से व्याकुल थे परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। मजदूरों के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को समय पर दूध और दवाइयां नहीं मिल रही थी।

देशभर में कई जगहों पर मजदूरों को काम करने के बाद प्रबंधन और नियोजकों द्वारा पैसा नहीं दिया गया। अब इन दो महीनों में संक्रमण मोदी सरकार के कुप्रबंधन और गलत फैसलों के कारण ही छत्तीसगढ़ सहित देशभर के मजदूरों को अमानवीय कष्ट झेलना पड़ा। देश ने मोदी, भाजपा की मजदूरों के प्रति असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा देखी है।

मोदी की भाजपा सरकार ने जितनी चिंता विदेशों में फंसे भारतीयों की थी अगर उतनी चिंता देश के भीतर फंसे कामगारों श्रमिकां पर्यटन यात्रियों और छात्रों की होती, तो लॉकडाऊन वन में ही सभी अपने घर पहुंच जाते और कोरोना महामारी संक्रमण की चपेट में नहीं आते, ना ही भुखमरी, बेबसी, लाचारी का शिकार होते। मजदूरों को सड़को, रेल पटरियों में पैदल नहीं भटकना पड़ता।

मजदूर दुर्घटना के शिकार नहीं होते। घर वापसी के प्रयास में दुर्घटना में मारे गये मजदूरों की मौत के लिए भी मोदी भाजपा की सरकार ही जिम्मेदार और दोषी है। दुर्घटना में मारे गये मजदूरों के परिवार की हाय बददुआ से भाजपा बच नहीं सकती।

छत्तीसगढ़ सरकार ने जो दूरदर्शिता दिखाई, कोरोना महामारी संकट को देखते हुए नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी सार्वजनिक कार्यक्रम को बैन किया, होली मिलन के आयोजनों को रद्द किया। राज्य के नागरिकों को सुरक्षित रहने की अपील कर जनजागरण किया। राज्य में कड़ाई से कदम उठाते हुये धारा 144 लागू की। देश में सबसे पहले स्कूल, कालेज बंद कर छात्रों को संक्रमण से बचाया।

मोदी सरकार जानबूझकर कोरोना महामारी संकट को नजरअंदाज करती रही है अपने विदेशी मित्र की खातिरदारी में नमस्ते ट्रम्प करने गुजरात में 24 फरवरी को लाखों की भीड़ जुटायी। मध्यप्रदेश की निर्वाचित सरकार गिराने तक कोरोना में फैसलो को रोका गया। कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद 24 मार्च को शिवराज ने शपथ ली और 25 मार्च से लाकडाउन शुरू हुआ।

भाजपा नहीं चाहती थी लॉक डाउन में दूसरे राज्यों में फंसे देशभर के मजदूर अपने घर गांव वापस लौटे सके। भाजपा के नेता, मजदूरों के घर वापसी से अर्थव्यवस्था बिगड़ने की बातें सार्वजनिक से रूप से कह चुके हैं। सड़कों पर भटकते मजदूरों को छुट्टी बिताने घर जाने जैसे तंज कस चुके हैं। भाजपा नेताओं का मजदूरों के साथ विद्वेषपूर्ण रवैया देखा है। भाजपा के द्वारा षड्यंत्र कर मजदूरों के घर वापसी पर अड़ंगा लगाया जा रहा था।

अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के प्रयासों से दूसरे राज्य में फंसे छत्तीसगढ़ के मजदूर अपने घर पहुंच चुके हैं ऐसे में भाजपा आपदा में राजनीति की अवसर तलाश रहीं है और मजदूरों के नाम से घड़ियाली आंसू बहा रही है। हकीकत में भाजपा किसान मजदूर गरीब विरोधी है।

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