बिलासपुर। बिलासपुर पुलिस, यूनिसेफ और काउंसिल टू सिक्योर जस्टिस (सीएसजे) निजात अभियान के अंतर्गत बिलासपुर जिले को डायवर्जन पहल के लिए एक मॉडल में बदलने के उद्देश्य से सक्रिय रूप से लगी हुई है. डायवर्जन कार्यक्रम का उद्देश्य विधि के साथ संघर्षरत बच्चों को महत्वपूर्ण सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना है ताकि बच्चों के लिए सुरक्षित भविष्य तैयार किया जा सके.
इस डायवर्जन कार्यक्रम के तहत बच्चों की कॉउंसलिंग एवं बेहतर मार्गदर्शन लिए एक अलग सुरक्षित स्थान की आवश्यकता को रेखांकित किया गया, जहां उन्हें संस्थागतकरण की आवश्यकता के बिना गतिविधियों में शामिल किया जा सके. जिसके लिए शुक्रवार 6 जनवरी को पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर, पुलिस अधीक्षक बिलासपुर, यूनिसेफ और सीएसजे के अधिकारियों ने ‘दिशांत: नव नभ की ओर’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इसके साथ ही डायवर्सन से सम्बंधित बिलासपुर में हुए कार्यक्रम की रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया.
बता दें कि, दिशांत की कल्पना कमजोर बच्चों के लिए मनोरंजक गतिविधियों की एक श्रृंखला की पेशकश करने वाले एक स्वर्ग के रूप में की गई है, साथ ही उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, खेल और विभिन्न विकास संबंधी चिंताओं को पूरा करने वाले स्थानीय संसाधनों से भी जोड़ा गया है. इसके अलावा, यह बच्चों और उनके परिवारों दोनों के लिए एक परामर्शी मंच के रूप में कार्य करता है, जो विकास और समर्थन के लिए अनुकूल पारिवारिक माहौल को बढ़ावा देता है.
कार्यक्रम में अजय यादव पुलिस महानिरीक्षक, बिलासपुर ने दिशांत सेन्टर को एक अभिनव पहल के रूप में बताते हुए आगामी समय मे इसकी उपयोगिता बताई. बिलासपुर एसपी संतोष सिंह ने निजात अभियान के अंतर्गत किये गए डायवर्जन कार्यक्रम को रेखांकित करते हुए बताया कि, सिस्टम में आये हुए विधि से संघर्षरत बच्चों के लिए दिशांत सेन्टर की आवश्यकता थी. जहां इन बच्चों को कॉउंसलिंग और अन्य गतिविधियों में बच्चों को डायवर्ट किया जा सके. वहीं यूनिसेफ के आपातकालीन अधिकारी, विशाल वासवानी ने बिलासपुर में शुरू किये गए दिशांत सेन्टर के आगामी कार्यक्रम के बारे में बताया.
इस कार्यक्रम में उर्वशी तिलक, निदेशक – रिस्टोरेटिव प्रैक्टिसेज एंड प्रोग्राम्स, सीएसजे गीतंजोली दासगुप्ता, राज्य सलाहकार- बाल संरक्षण, यूनिसेफ, रामनारायण वर्मा, तकनीकी विशेषज्ञ, सीएसजे विभिन्न NGOS जैसे सक्षम आदि से विशेषज्ञ शामिल हुए.