लेखक की कलम से

लड़ी आखरी सांस तक लक्ष्मी …

रोला छंद गीतिका

सत्तावान की बात, नया इतिहास रचाया।

जागा हिंदुस्तान,युद्ध का बिगुल बजाया।

 

भारत की वो शान, नाम था लक्ष्मीबाई।

कंगन पायल छोड़, हाथ तलवार उठाई।।

 

बालक बाँधे पीठ, भिड़ गई जो दुश्मन से।

देश रहे आज़ाद, कह गई वो जन जन से।।

 

लड़ी आख़िरी साँस, छुड़ाए सबके छक्के।

बेचारे अंग्रेज़, रह गए हक्के-बक्के।।

 

जो कहते लाचार, और अबला है नारी।

सुनें खोलकर कान, पड़ी वो सौ पर भारी।।

 

राजाओं का देश, सुनी हैं बहुत कहानी।

लाखों में थी एक, मगर झाँसी की रानी।।

 

बारम्बार प्रणाम, ऋणी ये देश रहेगा।

लक्ष्मीबाई नाम, सदा नभ में गूँजेगा।।

 

सच्चा होगा मान, बने हर बेटी लक्ष्मी।

मनु सी जन्में और, धन्य रहे भारत भूमि।।

 

©स्वीटी सिंघल, बैंगलोर, कर्नाटक                                                 

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