लेखक की कलम से
धरती में सूर्य की उपासना …
कतकी प्रणाम
कलम से
सूर्य का प्रकाश
नाप नहीं सकते
जन-जन के हृदय तक
इसका विस्तार है
धन धान्य समृद्धि
सूर्य की किरण के समान है
सूर्य के ताप से
तन मन धन
उर्जान्वित रहता है
आओ इसी ताप से
आपसी गर्मजोशी
बनाए रखें!
©लता प्रासर, पटना, बिहार