काश! ऐसा हो जाए …
हे ईश्वर,
हे ख़ुदा,
हे ईशा,
हे रब,
सभी फ़रिश्ते,
देवी देवता,
सभी से गुज़ारिश है
आप मिल कर
एक मत हो कर
कुछ ऐसा कर दो
ये जहां खुशियों से भर जाए।
आंखों में ना आएं ऑंसू
हर चेहरे पर हंसी आ जाये।
नफ़रत के बदले
नहीं मिले नफरत,
कुछ ऐसा तिलस्म
हो जाये।
नफ़रत के बादल
मुहब्बत बन बरस जाएं।
ऐसी दैवीय बूंदों से
हर तन मन नहा जाए।
काश! ऐसा हो जाए।
लालच का दैत्य
जब दस्तक दे तो
हर दिल का
द्वार बंद हो जाए।
अधिक पाने की कोशिश
हो तो कोई बात नहीं
बस औरों की तरक्की
ईर्ष्या की वेदी पर
कुर्बान ना होने पाए।
औरों की खुशी में मिले खुशी
हर नर नारी इतना
मेहरबान हो जाए।
काश! ऐसा कुछ हो जाए।
मान सम्मान का
अधिकार हो सभी को।
किसी के आत्मसम्मान को
चोट ना पहुंचने पाए।
एक समान हों सभी
ऊंच नीच का भाव
दिलोदिमाग से मिट जाए।
काश! ऐसा हो जाए।
अमीर गरीब का
रहे ना अंतर
जीवन यापन के साधन
पर्याप्त रूप से
सबके हिस्से आ जाएं।
मेहनत, धीरज, आशाएं
फलदायी हो जाएं
काश! ऐसा हो जाए।
पशु, पक्षी
पेड़ पौधे
क़ुदरत के हर रूप से
सबको मुहब्बत हो जाए।
ऊपर वाले का करें शुक्रिया
ऐसी दिनचर्या हो जाए।
काश! ऐसा हो जाए।
©ओम सुयन, अहमदाबाद, गुजरात