लेखक की कलम से
अपनापन देकर रूठ जाना तेरा
वो रूठ गया मुझसे किसी बात पर।
याद आती है उसकी छोटी-छोटी बात हर।।
कोई तरीका न कोई बहाना है।
नहीं जानती कैसे उसे मनाना है।।
याद करता होगा मुझे भी वो हर पहर।
पर बात जुंबा पे आते-आते जाती है ठहर।।
ये अपनेपन को जो अनूठा रिश्ता है।
दोनों मे हो निभाने की लगन तभी टिकता है।।
आओ मिल बैठें हम करें कुछ लड़ाई।
कुछ हम कहें कुछ तुमने अपनी चलाई।।
खूबसूरत जिन्दगी में लम्हें बहुत हैं कम।
दिखा दें दुनियां को हमारी देस्ती में हैं दम।।