लेखक की कलम से
दिल में तुम ही समाये हो ….
कल तक अनजान थे ,
आज बहुत खास हो।
तुम हमारे जीवन के ,
खूबसूरत एहसास हो।।
खुशबू हो सांसों की,
दिल की तुम धड़कन हो।
सांसों के स्पंदन का,
मधुरम आभास हो।।
तुम ही पहली और,
आखिरी मोहब्बत हो।
दूर हो भले फिर भी,
तुम दिल के पास हो।।
बीता हुआ वक्त किसी का हो,
आने वाला वक्त तुम्हारा है।
क्योंकि तुम जीवन का,
सुखद सा मधुमास हो।।
यादों में ख्यालों में सांसों में,
दिल में तुम ही समाये हो।
नज़रों में भरी हुई,
नेह की तुम प्यास हो।।
देकर के दिल में दस्तक
रातों की नींद चुराए हो।
जीवन में लाए हो तुम ही,
यह प्रीत भरा उल्लास हो।।
जब प्यार तराना छेड़ो तुम,
इन होंठों पर मुस्कान सजे।
मेरे गीतों में ढल जाओ,
तुम प्रीत भरे अनुप्रास हो।।
©अम्बिका झा, कांदिवली मुंबई महाराष्ट्र