लेखक की कलम से
वह अधूरी कविता …
पूरी होने का नाम नहीं लेती।
कभी शब्द खो जाते हैं,
तो कभी भाव कम पड़ जाते हैं।
लिखता हूं दिल की बात कभी तो,
कुछ एहसास अनछुए रह जाते हैं।
कभी, मैं कुछ कह नहीं पाता,
तो कभी कोई लफ्ज अनकहा रह जाता है।
और मैं अपने ख्याल ढूंढता,
जाने कहां भटक जाता हूं।
पर वह अधूरी कविता,
पूरी होने का नाम नहीं लेती।
©अजय, बैंगलोर