लेखक की कलम से

सांझ हूँ …

ना अंधकार मे हूँ…

 ना प्रकाश मय !

 किसी को याद भी नही….

पर सबका विश्राम हूँ मैं

सांझ हूँ मैं …

सूर्य का अस्त भी हूँ ,

चंद्र का उदय भी मैं !!

उपेक्षित भी हूँ …

 मधुर हूँ मैं

सांझ हूँ मैं …❤️

©मंजू चौहान, नासिक                                                     

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