लेखक की कलम से

आपनो अंगिका …

आपनो बोली अपनो वेश

अंगप्रदेश वाला ऊ देश।

वै प्रदेश के बात निराला

जेकरो स्वयं शिवशम्भु रखवाला।।

फकफक धोती ठहुनियां कुर्ता

नील टिनोपॉल वाला ऊ गमछा

जरूरी पर जब बांध मुरेठा।

नोकी वाला चकचक जुता

तै पर ऊ बकुड़िया लाठी

बात कहै छै गजबे हौ साथी।।

खेती में छि हम्मे सब अब्बल

केला मिर्ची और मकई में डूबल।

तैयो कहलावे छि गरीब किसान

सरकार के ने हमारा पर ध्यान।

गंगा कोसी के कछार लागै छै

माछ मीन सब सेहो फानै छै।

मर्द डुबानी कास फुले छै

कलाई देखी के मोन गदगद छै

धिया पुता के भाग जागल छै।।

आपनो बोली अपनो वेश

अंगप्रदेश वाला ऊ देश।

वै प्रदेश के बात निराला

जेकरो स्वयं शिवशम्भु रखवाला।।

बात कहे छी बिल्कुल सांची

मोन राखी हम कुछु नै बांची।

कहै छिहों हम खड़ा खड़ा

मोन में नै कोनो गिला।।

सुख दुख में तोंय रहियौ साथ

आपनो और समाज के साथ।

पान नै तै पान डंडी के साथ

हृदय में ले के उद्गार

अंग और अंगिका के साथ

आपनो बोली अपनो वेश

अंगप्रदेश वाला ऊ देश।

वै प्रदेश के बात निराला

जेकरो स्वयं शिवशम्भु रखवाला।।

जन जन में सौहार्द जगावो

अपनो सुतलो पुरुषार्थ जगावो।

भाई और भतीजा गोहरावौ

आपनो अंग प्रदेश चमकावो।।

तब जाइके बनबे हम्मे सब खास

देश और दुनिया पहचानते आप ।

ई गंगा के पावन धरती

नाम कमइतै जग में खास।।

©कमलेशझा, फरीदाबाद                       

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