इच्छा शक्ति …
गहन अंधकार हैं,
न माही न पतवार हैं,
चुभते हुए भी शूल हैं,
धाराएं प्रतिकूल हैं,
तो क्या हार जाओगे तुम,
कैसे टूट जाओगे तुम,
रुको जरा,
देखो अंतस प्रकाश को,
देखो आगे बढ़ने के भाव को,
यही प्रबल पुरुषार्थ हैं,
जब इच्छा शक्ति का साथ है,
जीत जाओगे तुम,
लक्ष्य पा जाओगे तुम,
बस प्रबलता से बढ़ते चलो,
खुद को तुम जीतते चलो,
इच्छा शक्ति वो हथियार हैं,
हर मुश्किल पर करे वार हैं,
यही बनाती वो जहाँ,
सफलता भरी हो जहाँ,
तो कैसी निराशा,
कैसी हताशा,
साधन नही तो क्या हुआ,
साध्य का जब साथ है,
गहन इच्छा शक्ति का प्रकाश हैं,
तोड़ेगा ये हर अंधकार,
बस हर पहाड़ से टकराने की ठान,
ले सिंह दहाड़,हर मुश्किल को पछाड़,
फिर जीत जाएगा तू,
प्रबल इच्छा शक्ति के साथ,
तो चल जरा,
बन एक योद्धा,
ले प्रबल इच्छा शक्ति का तू साथ,
हर पल ही एक जंग हैं,
ये अद्भुत ही रंग हैं,
बस उठा कदम,
जीत कर ही लेना दम।
©अरुणिमा बहादुर खरे, प्रयागराज, यूपी