लेखक की कलम से
विश्वास …
कब खुदा हो जाऊं
पता नहीं
जब मां के बच्चों पर
कोई बुरी धूल जमने
के आसार नज़र आने लगे तो
तब मां एक खुदा बन
जाती है
हर नुक्कड़ पर खड़ी हो जाती है।
बुरी बला से बचाने के लिये
सारी बुरी शक्तियां
डर जाती है
एक मां के क्रोध को देखकर
कोई नहीं है ऐसा
जो बच्चों को अपने वश में कर सके
ईश्वर भी ठहर जाता है
जब मां की शक्ति का प्रकाश
पड़ता है उसके बालक पर
स्त्रियों में अद्भुत शक्ति होती है
जब वो मां बन जाती है
पत्नी में भी अद्भुत
शक्ति पैदा होती है जब
वो पत्नी से ज्यादा पति की
आत्मा बन जाती है
परमेश्वर क्या है
परमेश्वर एक दूसरे की आत्मा का संगम है …
©शिखा सिंह, फर्रुखाबाद, यूपी