Uncategorized

दक्षिण में लहराया हिंदी का परचम ….

राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच तमिलनाडु इकाई द्वारा आयोजित ऑनलाइन मासिक काव्य गोष्ठी रविवार दिनांक 05/12/2021 को बहुत ही खुशनुमा माहौल में संपन्न हुई । श्रद्धेय नरेश नाज़ के सानिंध्य में, साहित्यकार डा. अशोक कुमार द्विवेदी की अध्यक्षता एवं एम. एस. जग्गी के मुख्य आतिथ्य में विभिन्न भावों से सजे काव्य मंच ने अपने शब्दों की रंगत से दक्षिण भारत के काव्य जगत को इंद्रधनुषी छटा प्रदान की।

अध्यक्ष  ने अपने उद्बोधन में राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच के संस्थापक श्रद्धेय नरेश नाज़ को पटल की अपार सफलता के लिए व इस परिवार में शामिल करने हेतु हृदय से धन्यवाद दिया व इस मंच के उत्तरोत्तर विकास की शुभकामनाएं दीं ।

श्रीमती सुनयना की सरस्वती वंदना से गोष्ठी का मधुरिम स्वरों से शुभारंभ हुआ। तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष विजय मोहन सिंह ने सभी का हृदय की गहराइयों से प्रेमपूर्ण स्वागत किया। संतोष श्रीवास्तव ‘विद्यार्थी’ ने काव्य-गोष्ठी में अपने उत्कृष्ट संचालन से समां बांध दिया ।

पटियाला से पधारे मुख्य अतिथि एम एस जग्गी जीने अपने उद्बोधन में बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार रखे जिसमें उन्होंने बताया कि दिल के भावों को लेखन में व्यक्त करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है वह एक नेक इंसान बनता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच की तमिलनाडु इकाई बहुत ही तेजी से उत्तरोत्तर ऊंचाइयों को छू रही है और इसके लिए आप सभी धन्यवाद के पात्र हैं..

विभिन्न खुशबुओं से महकती हुई काव्य संध्या को उत्कृष्ट पायदान पर पहुंचाने के लिए 20 कलम कारों ने अपना अमूल्य समय और साहित्यिक योगदान दिया । अपनी लेखनी से संसार भर में शब्दों का जादू बिखेर चुकी श्रीमती सरला विजय सिंह ने ‘ नौजवानों सुनो दिल की आवाज को, अपनी सीमाओं को लांघना छोड़ दो,’ से युवाओं का पथप्रदर्शन किया।

‘महिला काव्य मंच’ की दक्षिण प्रांतीय राष्ट्रीय प्रभारी डा. मंजु रुस्तगी ने ‘प्रत्यंचा जितनी खिंचे अंदर, निशाना उतना सटीक बाहर,’ से समाज को व्यंग्यात्मक आइना दिखाया। सम्पूर्ण भारत में अपनी काव्य विद्वता एवं हिंदी प्रेम का डंका बजा चुकी,मूलत: तामिळ भाषी, भूतपूर्व प्रोफेसर, तमिलनाडू की वरिष्ठतम कवयित्री  डा. राजलक्ष्मी कृष्णन ने ” कुछ तो लिख दूँ मैं, शीर्षक से ‘ हर दिन सोंचती हूँ कि कुछ न कुछ लिखूं मैं, परन्तु विचार आते ही सब कुछ भूल जाती हूँ’ द्वारा भावी पीढ़ियों को लिखने के लिये प्रेरित किया ।

डा.मिथिलेश सिंह ने हृदय के उद्गार ‘कहना तो बहुत कुछ है, तुमसे कह नहीं पाती ‘ सुनाया। श्रीमती शकुंतला करनानी ने ‘कोई लौटा दो मेरे बीते हुए दिन” शीर्षक से ‘यादों की कश्तियाँ जेहन में लेती हैं जब जब हिलोरें, उछाल मार कर छपाक से बचपन आ जाता है सामने’ से बचपन की यादो में पहुँचाया। श्रीमती स्वीटी सिंघल ने चाय की दोहावली रखी

‘प्रभु सिमरन जो नित करे, भवसागर तर जाए,

डूबे रहना हो जिसे, नित उठ पी ले चाय’ ।

श्रीमती उषा टिबड़ेवाल ‘विद्या’ ने ‘ एक उम्र के पड़ाव में एक दोस्त चाहिए, ऐसा वैसा नहीं, हूबहू मुझ जैसा, मुझे समझने वाला चाहिए’ से दिल की बात रखी।

काव्य-गोष्ठी के मुख्य अतिथि   एम. एस. जग्गी ने ‘ नाचो बहनों, नाचो भैय्या, नाचो बाबा, नाचो मैय्या, मायका और ससुराल नाचो, लुटाने दो मुझे खूब रुपैय्या’ से सबका दिल जीत लिया। तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष   विजय मोहन ने मनोबल बढ़ाने वाली बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत की :

“कोई राह जब दिखाई ना दे,

अपनों से हमें बेवफाई मिले..

आशा की तब जोत जगा कर,

उम्मीदोंं का इक दीप जलाएं’…

श्रीमती डा.विद्या शर्मा का स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद उन्होंने कलम की ताकत दिखाई ‘और हृदयस्पर्शी देशभक्ति रचना रखी जिसका शीर्षक था “एक दीपक तुम जला देना” :

‘जग में अँधियारा छाया,

मन में अँधियारा क्यों है,

हे दीप शिखाओं बोलो,

ऐसा बंटवारा क्यों है’..

श्रीमती पमिता खिचा ने ‘गीत कहाँ से गाऊं मैं, धुन कौन सी सजाऊं मैं’ पेश की । श्रीमती नलिनी शर्मा ‘कृष्ण’ ने गजल से सभी के हृदय को छुआ, ‘अपने घर की व्यवस्था में, रात दिन ही उलझते गये।’

श्री त्रिभुवन जैसवाल ने बाबा साहब डा. भीम राव अंबेडकर को समर्पित रचना रखी ‘भारतवर्ष के भाग्य विधाता’ नमन हजारों बार तुम्हें’।

आज की काव्य गोष्ठी के अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार द्विवेदी ‘शान ए बनारस’, सम्प्रति प्राध्यापक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष, डी. जी. वैष्णव कॉलेज, चेन्नई, की सुरमयी गज़ल का आनंद लीजिये :

खुदा के दर पे खंजर नहीं निकलते हैं..

कैद बुलबुल के कभी पर नहीं निकलते हैं..

बदी की राह पे दिये को क्यूँ जलाते हो..

दीवाने प्यार के इस डगर नहीं निकलते हैं…

 

श्रीमती चंद्रा गंगवार ने युवाओं को सबक देते हुए ये ‘आजकल जमाने की बहार देखो, कैसा छाया है गरूर देखो’ से सभी के हृदय पर छाप छोड़ी। मोहन लाल गंगवार ने शिक्षाप्रद रचना ‘मोबाइल के सम लगन हो प्रभु में’ शीर्षक से ‘मोबाइल के बनें हैं सब कठपुतली, ये तो है इक गजब पहेली’ रखी। दिनेश कुमार की कविता ‘हालेदिल’ से ‘पूरी जिंदगी ही कुर्बान कर दी उसकी एक अदा पर हमने, मुझे खुद से प्यार करना, खुद संभलना सिखाया उसने’ को सभी ने सराहा।

श्रीमती शोभा चोरड़िया ने ‘मुलाकात’ शीर्षक से ‘रेल और मेरी अक्सर मुलाकात हो जाया करती है, बातों ही बातों में किस्से कहानियां सुनाया करती है’ बहुत ही बेहतरीन रचना से सभी का ध्यान खींचा।

संचालन की बागडोर संभाल रहे संतोष श्रीवास्तव ‘विद्यार्थी’ ने “जो करके भला, फल नदी में बहाय, यही आग जीवन को कुंदन बनाय, रखकर सबका मन मोह लिया। सभी काव्य प्रेमियों ने इनके संचालन की अनुपम तकनीक की भूरी भूरी प्रशंसा की जिसमें इन्होंने प्रत्येक कवि के स्वागत में अपनी दो पंक्तियों से अभ्यर्थना की । मुख्य अतिथि एम एस जग्गी ने इनकी इस काव्य कला को मंगलाचरण के समकक्ष बताया ।

धन्यवाद ज्ञापन तमिलनाडु इकाई के सचिव दिनेश कुमार ने दिया और शीघ्र मिलने का वादा किया…

Back to top button