लेखक की कलम से

नया साल मुबारक …

गत वर्ष की आखिरी रात

कोहराम मचा गई

अनेक घर में बिछ गई लाशें

हर तरफ चीख और रोने की आवाज़

एक ओर भूखमरी है

दूसरी ओर कर रहे दुआ

कोरोना महामारी से छुटकारा

हर छोटी भूल को माफ कर

हर पुन्य को समेटकर

मात्र कर रहे प्रार्थना

एक उम्मीद की लौ जलाएं

कर रहे स्वागत नये साल का

कल के सूरज की पहली किरण

जगाएगी उम्मीद लोगों के दिल में

प्रकृति भी खिलखिलाएगी

सांझ भी रंग लाएगी

चांदनी भी मुस्कुराएगी

महकेगा सबका आंगन

दुआ रंग लाएगी

मुस्कुराते गम को भूल

कर स्वागत नये साल का

नव वर्ष मुबारक हो।

 

©डॉ. अनिता एस कर्पूर, बेंगलूरु, कर्नाटक

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