लेखक की कलम से

जमीं तलाशना सीख …

अपनी जमीं तलाशना सीख,

आकाश भी मिलेगा।

जरा अंधकार में चलना सीख,

प्रकाश भी मिलेगा।।

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दूसरों पर भरोसा ना कर,

ज़रा खुद पे करो यकीन।

तुम्हें हर मंजिल मिलेगा,

जो लगता है नामुमकिन।।

कभी हारना भी सीख ,

देखना शाबाश भी मिलेगा–

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बिना काँटों के कभी कोई ,

गुलाब खिला करते नहीं ।

बिना साधना के यहाँ पर,

भगवान मिला करते नहीं।।

कठपुतली है तो क्या हुआ,

मुक्ताकाश भी मिलेगा–

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दूसरों के पदचिन्हों पर तो,

यहां हर कोई चलता है।

जो भावनाओं में बहे,

उसे यहां हर कोई छलता है।।

तू खंज़र खोजकर देख,

अपने आसपास ही मिलेगा–

 

©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)             

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