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बार्डर-गावस्कर ट्राफ़ी दूसरी बार भारत ने जीता, ये रहे जीत के कुशल कारीगर…

अनुराग वत्स, खेल समीक्षक

नई दिल्ली । तीन शानदार टेस्ट मैच। दो जीत एक ड्रॉ। आस्ट्रेलिया में आयोजित बार्डर-गावस्कर ट्राफ़ी दूसरी बार भारत के नाम। अब तक नहीं हारे कप्तान अजिंक्य रहाणे। कमाल के लीडर हैं। कमाल की फ़ाइटिंग स्पिरिट है टीम इंडिया की। यह जीत सर्वाधिक समर्थ और सशक्त ऑस्ट्रेलियाई टीम के ख़िलाफ़ मिली। इस लिहाज़ से 2018-19 की पहली सीरीज़ जीत से किसी मायने में कम नहीं। भारतीय टीम को एक नया और मुकम्मल लीडर मिला।

इस आदमी के लिए मेरे मन में सम्मान पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। टेस्ट क्रिकेट रन-गिनती का मामला नहीं है। वह दृढ़ता, क्षमता, लड़ाकूपन, कठिन हालात में जूझने का जज़्बा भी है। इसीलिए यह जीवन जैसा है। उन लोगों के जैसा जो हमारी चमचमाती कामयाबी के कारीगर होते हैं. दिखते कम या नहीं हैं, लेकिन उन्होंने ही मज़बूत बुनियाद डाली होती है।

मैं चेतेश्वर पुजारा के रन सबसे अंतिम में देखता हूं। उनमें टिकने, न झुकने, न दबने, सामने वाले बॉलर का कस-बल ढीला कर देने की कूव्वत है। लचर गेंद को पढ़ने और पीटने के हुनर के साथ खेलते रहने को देखकर मुझे महान राहुल द्रविड़ का वह वाक्य याद आता है, जो उन्होंने सर डॉनल्ड ब्रेडमैन की याद में दिए गए लेक्चर में कहा था।

We’re the ones who make life easier for the kings of batting, the middle order that follows us.

पुजारा यही हैं। इन्हीं के शौर्य और धैर्य से हमने पिछली और पहली बार ऑस्ट्रेलिया को उसी की सरज़मीं पर सीरीज़ में मात दी थी। इस बार भी वह अजिंक्य रहाणे की अगुआई में जीत के कुशल कारीगर हैं। चोट खाते, लड़ते, विपक्षी को पस्तहाल करते-विजेता बने।

” भातरीय टीम ने जितने महत्वपूर्ण टेस्ट मैच अब तक जीते हैं उसमें आज का मैच भी शामिल हो गया । एक माह पहले वनडे के समय भारतीय टीम पर उंगली उठने लगी थी। भारत के कई महत्वपूर्ण खिलाड़ी चोटिल थे एक तरह से यह बी टीम थी फिर भी भारतीय टीम लय में आई और सीरिज़ अपने नाम कर लिया। भारतीय टीम को बहुत बहुत बधाई। “

गौरव शुक्ला, रजिस्ट्रार सीवी रामन यूनिवर्सिटी

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