बिलासपुर

हाईकोर्ट का आदेश, मगर सांड और उन्मुक्त जानवरों से कैसे मिलेगी छुटकारा

मुंगेली (मनोज अग्रवाल)। एक  जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने नगरीय निकायों को घूमते मवेशियों को पकड़कर उनके मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश पारित किया है। जानकारी के अनुसार, मवेशियों को लेकर दाखिल रिट पिटीशन पर हाईकोर्ट ने  आदेश पारित कर निर्देश जारी किया है और इस आदेश के अनुसार नगरीय प्रशासन विभाग ने प्रदेश के सभी निगम आयुक्तों, पालिकाओं, नगर पंचायतों के सीएमओ को निर्देश जारी किया है। हाईकोर्ट के आदेश में सड़क यातायात में बाधा उत्पन्न कर रहे मवेशियों को गली, सड़क, राजमार्गों से हटाने, इन मवेशियों के आश्रय के लिए सुरक्षित स्थान की व्यवस्था करने और सड़कों पर घूमते पाए जाने वाले मवेशियों के मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात शामिल है।

विगत कुछ समय से सड़कों पर आवारा घूमने वाले गाय, भैंस, बैल व अन्य के कारण प्रदेश के किसी न किसी कोने से दुर्घटना की खबर कमोबेश रोज पढने में आती ही है। मुंगेली का गौरव पथ हो या फिर सदर बाजार रोड या अंदरूनी गली हो, हर ओर आवारा सांड, गाय झुंड में बैठे या विचरण करते हुए मिल जाएंगे। सुबह से लेकर देर रात तक सड़क में इकट्ठा होकर बैठे रहने की वजह से ऐसी जगहों पर आवागमन में काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। वहीं इन जानवरों के आपस में लड़ते रहने से अक्सर राहगीर भी चोटिल होते रहते हैं। आवारा विचरण कर रहे पशुओं के कारण यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। जिसके कारण दुर्घटनाओं की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। नगर में गौठान का निर्माण नहीं होने तथा गौशालाओं में क्षमता से अधिक पशुओं के रहने के कारण इनकी धरपकड़ करने से प्रशासन भी कन्नी काट लेता है। परेशानी यह है कि मवेशी मालिकों के द्वारा जानबूझकर इन्हें आवारा विचरण के लिए छोड़ दिया जाता है। जिसके चलते शहर में बड़ी सख्या में पशुओं का झुंड नजर आता है।

नगर की अधिकांश सड़कों पर अस्त-व्यस्त बैठे जानवरों के कारण दुर्घटनाएं बढ़ रहीं हैं। वस्तुत: इनमें से अधिकांश मवेशी लावारिस नहीं हैं। अपितु इनके मालिक ही इनको जानबूझकर खुला छोड़ देते हैं। जिससे वे चारे की व्यवस्था करने की झंझट से बच जाते हैं। ये मूक पशु दिनभर नगर की सड़कों, गलियों में विचरण कर कुछ भी खाकर अपना पेट भरते हैं और शाम के समय घर पहुंच जाते हैं।

अब खेती-किसानी के काम में भी जानवरों की निर्भरता कम होती जा रही है। स्वस्थ बैलों व भैसों के तथा दुधारू गाय और इनके चारों के भाव में भयंकर बढोतरी के कारण पशु मालिक बैलों व बछडों को भी आवारा विचरण करने उनके हाल पर छोड़ देते हैं। ये कथित लावारिस जानवर गली-मोहल्लों में विचरण करते हुए घरों के सामने कुछ खाने को मिलने की आस में डेरा जमाए बैठे रहते हैं या फिर सब्जी बाजार में घुसकर सब्जी विक्रेताओं की लाठी खाकर भी अपना पेट भरने का प्रयास करते रहते हैं।

शहर में स्वच्छंद विचरण कर रहे इन जानवरों के लिए न कहीं पर कांजी हाउस न गौशाला की व्यवस्था है। प्रशासन को चाहिए कि वह समस्या के मूल कारण को जानने के बाद ही इसका निराकरण करने की पहल करे। सड़कों पर आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं और इससे होने वाली जनहानि का मुख्य कारण सड़क पर आवारा घूम रहे मवेशी ही होते हैं। लोग मवेशियों को सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं और दुर्घटना में अगर कोई पशु मृत हो गया तो सड़क जाम कर मुआवजा भी लेते हैं।

स्थानीय प्रशासन का अमला ऐसे मवेशियों को कभी9कभार पकड़कर कांजी हाउस या गौशाला में डाल देते हैं। मगर इस बारे में कानून इतना कड़ा और प्रशासन के पास संसाधन इतने कम हैं कि इन पशुओं के लिए पर्याप्त व्यवस्था कर पाना असंभव सरीखा होता है। मुंगेली की स्थिति कांजी हाउस के बारे में यह है कि यहां पर कांजी हाउस बंद है या खुली है यह जान पाना शोध का विषय है।

हिंदू संस्कृति में गायों को खिलाना पुण्य का काम माना गया है। पके हुए भोजन से गो ग्रास निकालने की परंपरा है। आज के इस युग में भी ऐसे परिवारों की संख्या कम नहीं है जो रोजाना गाय के लिए भोजन निकालते ही हैं। इसमें बचा-खुचा खाना डालकर गाय के लिए रख दिया जाता है। जिस द्वार पर मवेशी रोजाना अन्न पाते हैं उसे याद रखते हैं और वे दिनभर इधर-उधर भले ही घूमें, फिरें मगर खाना मिलने के नियत समय में घर के द्वार के सामने पहुंच जाते हैं। पालतू गाय की विशेषता होती है कि वह दिनभर कहीं भी भटके मगर सुबह-शाम दूध निकालने के समय अपने मालिक के घर लौट ही आती हैं। और इन गायों के मालिक इनका दूध निकाल कर दिन में फिर इनको आवारा विचरण करने छोड़ देते हैं।

देखना यह है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन-प्रशासन ऐसे आवारा पशुओं के मालिकों पर क्या और कैसे कार्यवाही कर पाती है।

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