छत्तीसगढ़बिलासपुर

कानन जू में बाघिन के शावक ‘मितान’ की मौत, 2 दिन से था बीमार;दो मादा शावक की हालत गंभीर …

बिलासपुर । कानन पेंडारी जूलॉजीकल पार्क में करीब 9 महीने पहले जन्मे बाघिन ‘रंभा’ के नर शावक ‘मितान’ की मौत हो गई। अचानक शावक की मौत से जू प्रबंधन और अफसर सकते में आ गए हैं। वन अफसरों ने दावा किया है कि शावक दो दिन से बीमार था और दस्त कर रहा था। जू प्रबंधन ने बताया कि सोमवार दोपहर 12 बजे बंगाल टाइगर केज के जू-कीपर ने जानकारी दी कि बाघिन रंभा के नर शावक मितान को दस्त हुआ है और वह सुस्त पड़ गया है। खबर मिलते ही जू प्रबंधन ने तत्काल वन्य प्राणी चिकित्सक को बुलाया। जांच के बाद उसे बाघिन और तीन मादा शावकों से अलग रखकर उपचार शुरू किया गया और उसकी निगरानी करते रहे।

उसकी मौत फेलाइन पेन ल्यूकोपेनिया वायरस से होने की बात कही जा रही है। जू के दो मादा शावक भी इस खतरनाक वायरस की चपेट में है और उनकी जान खतरे में है। लिहाजा, प्रबंधन ने उन्हें भी आइसोलेट किया है। मंगलवार की सुबह 9 बजे जू-कीपर ने बताया कि शावक मितान ने कोई भोजन भी नहीं किया है। लेकिन, उसका तापमान 99.9 पर था, जो सामान्य है। इसके बाद उसकी तबीयत में सुधार देखकर उसे बाघिन रंभा के साथ छोड़ दिया गया। फिर शाम 4.30 बजे शावक का तापमान लिया गया, तापमान 100.4 पर था, जिस सामान्य माना गया। लेकिन, वह सुस्त नजर आ रहा था।

इधर, रात भर शावक मितान अपनी मां रंभा बाघिन के साथ था। जू प्रबंधन का दावा है कि रात में उसकी निगरानी करने के निर्देश दिए गए थे। इस दौरान कर्मचारी लगातार सीसीटीवी कैमरे से उसकी निगरानी भी कर रहे थे। शावक और उसकी मां रंभा रात भर सो रहे थे। लेकिन, बुधवार की सुबह कर्मचारियों ने देखा कि नर शावक मितान के शरीर में कोई हलचल नहीं हो रहा है। कर्मचारियों ने इसकी जानकारी अफसरों को दी। खबर मिलते ही अफसर आनन-फानन में कानन पहुंचे। लेकिन, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। बताया जा रहा है कि शावक ने रात में ही दम तोड़ दिया था और अफसर उसकी निगरानी करने का दावा करते रह गए।

कानन में नर शावक तीन दिन से बीमार होने का दावा किया जा रहा है। लेकिन, पर्यटक कानन में शावकों को तंदरुस्त देखने का दावा कर रहे हैं। अचानक हुई उसकी मौत के बाद भी प्रबंधन ने मीडिया को इसकी जानकारी नहीं दी। जब शावक के शव का पोस्टमार्टम हो गया, तब रात में वन विभाग ने शावक की मौत फेलाइन पेन ल्यूकोपेनिया वायरस से होने की बात कही। यह खतरनाक वायरस है। इससे जू प्रबंधन सकते में आ गया है।

बाघिन के शावक की वायरस से मौत होने के बाद घबराए जू प्रबंधन ने तीन अन्य मादा शावक रश्मि, आनंदी और दिशा की भी जांच कराई। बताया जा रहा है कि आनंदी व दिशा मादा शावक के शरीर का तापमान काफी अधिक है। प्रबंधन ने वन्य प्राणी चिकित्सक से उनका भी उपचार शुरू करा दिया है। साथ ही दोनों को अलग कर आइसोलेट कर दिया गया है। वहीं, तीसरी शावक रश्मि स्वस्थ है। इसलिए उसे मां के साथ ही रखा गया है। वह उसकी स्थिति सामान्य बताई जा रही है।

कानन पेंडारी जू में बाघिन रंभा ने 17 अप्रैल को चार शावकों को जन्म दिया था, जिनमें नर शावक मितान भी था। तीन मादा शावकों में रश्मि, दिशा और अनंदी शामिल हैं। चारों शावकों की देखभाल करने के बाद करीब दो माह पहले ही जू-प्रबंधन ने उन्हें पर्यटकों के लिए केज पर छोड़ा था।

कानन पेंडारी जू के चिकित्सक के साथ ही वन्य प्राणी चिकित्सकों का कहना है कि इस वायरस के शुरूआत में पतला दस्त होता है और वन्य प्राणियों का शरीर कमजोर हो जाता है, जिससे वह सुस्त हो जाते हैं। पतला दस्त के साथ वन्य प्राणी भोजन भी छोड़ देते हैं, जिससे सुस्ती बढ़ जाती है और उनका तापमान भी बढ़ जाता है। यह एक तरह का संक्रमण है, जिसका उपचार संभव है। उसी विधि से इलाज भी किया जा रहा है। लेकिन अगले 10 दिन तक जू के लिए किसी जोखिम से कम नहीं है।

साल 2022 में जनवरी का महीना बीतने के बाद कानन जू में हर महीने वन्य प्राणियों की मौत हो रही थी। बाघिन रजनी और चेरी के बाद लायनेस मौसमी की अप्रैल में मौत हो गई थी। इस ढाई महीने में कानन जू में 9 वन्यप्राणियों की मौत से वन प्रबंधन सकते में आ गया था। 12 फरवरी को सुबह 4 साल की मादा हिप्पोपोटामस सहेली की मौत हुई थी। दूसरी तरफ 266 दिन तक इलाज के बाद मादा बाघिन रजनी ने 3 मार्च को दम तोड़ दिया था। 18 अप्रैल की शाम को लायनेस मौसमी की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई थी।

बरेली सहित अन्य स्थानों पर भेजा गया। उसके ठीक 12 दिन बाद 10 मार्च को उसी हालत में भालू कन्हैया की मौत हो गई। इसके बाद जू प्रबंधन ने वन्य प्राणी विशेषज्ञों से संपर्क किया था, तब कै-नाइन हेपेटाइटिस का संक्रमण होने की आशंका जताई गई थी। इस बीच तीसरी मादा भालू कविता भी संक्रमित हो गई और 25 मार्च को उसकी मौत हो गई।

4 अप्रैल की सुबह बाघ भैरव और बाघिन चेरी के केज में घुस गया था। वहीं, चेरी केज में खून से क्षत-विक्षत पड़ी थी और उसकी मौत हो गई थी। बताया गया कि बाघ भैरव ने स्लाइडर केज का कूंदा तोड़कर बाघिन चेरी पर हमला कर उसे मार दिया था।

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