हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा …
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
मेरे देश में अब कोई नहीं है भूखा नंगा,
यहां होता नहीं सांप्रदायिकता के नाम पर अब कोई भी दंगा।
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
बेरोजगारी की अब कोई मार नहीं झेल रहा,
टोपे में माटी भर के हर युवा बेखौफ है खेल रहा।
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
अब कोई नारी नहीं है लाचार
अब देश में नहीं है भुखमरी की मार,
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
दलित,आदिवासी अब सबको
मिल रहा बराबर का अधिकार,
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
महंगाई अब खत्म हो गई
मध्यम वर्ग भी खा रहा चार चार बार ।
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
बाइक रैली से तुरंत सभी में देशभक्ति जाग गई।
अंधविश्वास और कुरूतियां यकायक भाग गई।
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
एक निश्चल बालक की मौत से
अल्प निंद्रा में सोया हुआ प्रशासन जाग गया।
हर घर तिरंगा हर घर तिंरगा,
किसानों को उनकी खेती का मूल्य बराबर है अब मिल रहा।
अब कोई भी अपने लिए फांसी का फंदा नहीं सिल रहा ।
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
फौजी को मेस में अच्छा व सुपाच्य खाना भरपूर है मिल रहा।
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
भिन्नता में एकता अब कोई किसी को नीची दृष्टि से नहीं है देखता।
हर घर तिरंगा हर घर तिरंगा,
©कांता मीना, जयपुर, राजस्थान