दिल्ली दरबार: मोदी के हनुमान चिराग पासवान अब क्यों मांग रहे हैं मदद …
नई दिल्ली (पंकज यादव) । लोक जनशक्ति पार्टी यानि स्व. रामविलास पासवान के द्वारा बनाई गई पार्टी अब दो टुकड़ों में बंट गई है। एक तरफ रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस हैं तो दूसरी ओर उनके बेटे चिराग पासवान। अब देखना है कि रामविलास पासवान के समर्थक पशुपति पारस के साथ खड़े हैं या फिर चिराग के साथ।
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान कहकर चिराग पासवान ने खूब सुर्खियां बंटोरी थी। लोजपा उस समय भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ी थी। ऐसा लग रहा था कि लोजपा बेहतर प्रदर्शन करेगी लेकिन इसकी गिनती वोटकटवा पार्टी के तौर पर होने लगी। लोजपा के नेता के तौर पर चिराग पासवान ही पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे। क्योंकि रामविलास पासवान का स्वास्थ्य ठीक नहीं था। चुनाव की सरगर्मियों के बीच ही रामविलास पासवान का निधन हो गया। लेकिन चिराग के हौंसले कम नहीं हुए और लगातार उनको लगता रहा आज नहीं तो कल फिर से उनकी पार्टी उठ खड़ी होगी। इस बीच चाचा की बगावत ने चिराग पासवान को अलग—थलग कर दिया और आज चिराग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि ‘हनुमान अकेले हैं तो राम को साथ आना चाहिए।’
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने जो निर्णय लिया था वह भाजपा या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर लिया था। अगर ऐसा था तब तो भाजपा और प्रधानमंत्री को चिराग की मदद करनी चाहिए और ऐसा नहीं था तो चिराग पासवान को अब अपना अगला कदम बढ़ाना होगा और भाजपा की बजाय किसी और दल को साथ लेकर आगे की लड़ाई लड़नी चाहिए। चिराग का अगला कदम तो वहीं बता सकते हैं लेकिन अगर सही रणनीति से वो काम करेंगे तो आने वाले दिनों में बिहार के लिए अगले रामविलास पासवान हो सकते हैं।