लेखक की कलम से
इन्तज़ार …
ना जाने क्यूँ एहसास हो रहा है मुझे कि शायद तुझे मेरी याद आई हो ।
हाथों से अपने दिल को दबा के तुमने मुझे आवाज़ लगाई हो ।
तेरे दिल हलचल मेरे नाम की हो गई हो ,और आँखो में तस्वीर मेरी ढल गई हो ।
तेज़ हवा कान में कोई सरगोशी कर गई, दो बुँद से तेरी आँख फिर भर गई ।
तलब छोड़ दी मेरे दर्द ने अब मेरी, वो भी फिक्र तुम्हारी करने लगा है ,
दूर हो गए हम तो क्या, मोहब्बत तो कम नहीं हुई हमारी ,
देखो मेरा दर्द भी तुम्हारी तरह बेवफाई करने लगा है ।
अरमान कोई फिर मचला तुम्हारा, मेरा साथ पाने का , दीवानगी इससे
बढ़ कर और क्या होगी , अभी भी इन्तज़ार है तेरे आने का ।
©प्रेम बजाज, यमुनानगर