लेखक की कलम से

मेरा छात्र मेरी आशा ….

 

अपनी आशा के अनुरूप ही

हुई चाह पुरी मेरी,अपने छात्र के रूप में उसको देखकर

बदल गए सभी कार्य मेरे उसी दिशा में

जिधर ले जाना चाहा मैने अपने कर्तव्य को

उसके सच्चे सीधे मार्ग को प्रशस्त करने की जिजीविषा लिए मैं अपनी सोच,विचार,ओर कार्य को उसकी उन्नन्ति में

लगाती चली जा रही हूँ साल दर साल उसी लग्न से

उसी के अनुरूप बस  बदल जाता हैं वर्ष प्रतिवर्ष छात्र मेरा

आशा  लिए उसकी प्रगति की,उसकी एक जीवन्तता की

एक गति,एक प्रवाह एक लक्ष्य,एक मंजिल जो उसे मिले

खुशी की आस प्रेम,भरोसा,साहस की स्वीकृति  हो उसमें

आशा लिए मैं स्वयम में उसकी भलाई की

उसको अस्तित्व का अहसास कराती, रही

आत्मशक्ति का संचार करती रही उसमें

उमंग-उत्साह को सजाती कि कभी वो रोशन करेगा नाम

संकल्प-बोध को जगाती रही कि होगा कभी तो पूर्ण

आशा का विचार आता जाता रहा पर मैं रही वही

आएगा कभी तो प्रकाश नजर उसकी उन्नति के रूप में

आता है चहुँओर प्रकाश नजर कि बढ़ेगा हर पल आगे ही

आशा लिए मैं एक सकारात्मक दृष्टि के साथ

आत्मविश्वास को बढ़ाती हुई अपने मे

उसका संबल,सहारा और शिक्षा दीप बनूं मैं

संभावना,सद्भावना प्रदान करती रहूँ उसको

क्षमता और दक्षता को बढ़ाती रहूँ हर दम

अपने छात्र के लिए हरदम मैं

 

 

©डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद                                             

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