लेखक की कलम से

अब कोई मनभेद नहीं हो…

तुम भी कह दो मैं भी कह दूं

मन में अब न भेद कोई हो

मतभेदों में जी लेंगे हम

अब कोई मनभेद नहीं हो..।।

हर पल को अनुरूप बनाएं

अपनों के अनुकूल बनाएं

रहे हमेशा अपनापन ये

अब कोई तकरार नहीं हो..।।

रिश्तों की लड़ियां मिल गूथें

प्रेम के पुष्पों से आओ हम

खुशबू से हर रिश्ता महके

अब कोई हमसे दूर नहीं हो..।।

रिश्तों का हर बंधन मिलकर

हम मजबूत बनाएंगे

हर सुख-दुःख में साथ निभाएं

अब कोई मजबूर नहीं हो..।।

तुम भी कह दो मैं भी कह दूं

मन में अब न भेद कोई हो

मतभेदों में जी लेंगे हम

अब कोई मनभेद नहीं हो..।।

अब कोई मनभेद नहीं हो..।।

©विजय कनौजिया, अम्बेडकर नगर, यूपी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button