लेखक की कलम से

छत्तीसगढ़ के गांधी पंडित सुंदरलाल शर्मा …

जयंती पर विशेष

 

छत्तीसगढ़ के गाँधी-पंडित सुन्दरलाल शर्मा

छत्तीसगढ़ म सुराजी के, तेहा अलख जगइया।

छत्तीसगढ़ के गाँधी तेहा, सत मारग के चलइया।।

 

चमसुर के पवरित भुइँया म, तेहा लिए अवतारे।

जियालाल अउ देवमती के, तै बेटा राजदुलारे।।

सादा जीवन उच्च विचार के, रस्दा म चलइया—-

 

सुराज के जोत जलाए, दीन दुखिया बर तै लड़ेस।

भारत माँ के आजादी बर, रणभूमि म कूद पड़ेस।।

जन-जन म आजादी के, तेहा मंतर के फूंकइया—

 

सन उन्नीस सौ बीस म तेहा, नहर सत्याग्रह चलाए।

तोर कारज ल देख के गाँधीजी छत्तीसगढ़ आए।।

धन हे सुंदरलाल तोला, गाँधी ह अपन गुरु बनइया—

 

सन 1907 म राजिम म, संस्कृत स्कूल तेहा खोलेस।

सन1910 म तेहा, स्वदेशी आंदोलन ल शुरू करेस ।।

सच के लिये लड़ो, चाहे जियो या मरो, नारा के देवइया-

 

जनमभूमि चमसुर के तेहा, अड़बड़ मान बढ़ाए हस।

करमभूमि राजिम के तेहा, सुग्घर भाग जगाए हस।।

सामाजिक पुनर्जागरण के, तेहा अलख जगइया—–

 

जात धरम अउ ऊँचनीच के, आगी इंहा लगे रिहिस।

मंदिर देवाला मन म, येकर बर तारा ह लगे रिहिस।।

हरिजन ल राजीवलोचन म, पूजा के हक देवइया—

 

राजिमक्षेत्र महात्म्य लिख, राजिम के करजा चुकाए।

ध्रुव, प्रह्लाद चरित्तर लिख, साहित के शोभा बढ़ाए।।

“छत्तीसगढ़ी दानलीला “के, तेहा सुग्घर लिखइया—-

 

तोर सुरता म छ.ग.म, कतको स्कूल कालेज बनिस।

सुन्दरलाल शर्मा सनमान के, शासन ह उदिम करिस।

छत्तीसगढ़ म समरसता के, सबला रस्दा देखइया—-

 

इक्कीस दिसंबर अमर होगे, छत्तीसगढ़ के इतिहास म।

अट्ठाइस दिसंबर प्राण ल छोड़े, नवा सुराज के आस म।।

आज बनगेस युगपुरुष ग, तेहा सबके भार बोहइया—–

 

 

©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)

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